द्विनाम नामकरण प्रणाली के नियम
द्विनाम नामकरण प्रणाली के नियम (Rules of Binomial Nomenclature System)
लिनियस (Linnaeus) द्वारा प्रचलित इस नामकरण पद्धति का नियमन पौधों के लिए वानस्पतिक नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (ICBN) और जन्तुओं के लिए प्राणी नामकरण की अंतर्राष्ट्रीय संस्था (ICZN) द्वारा किया जाता है। इस पद्धति के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं:
- दो शब्दों में नाम:
- प्रत्येक जीवधारी का वैज्ञानिक नाम दो शब्दों में होता है:
- (i) वंश (Genus)
- (ii) जाति (Species)
- प्रत्येक जीवधारी का वैज्ञानिक नाम दो शब्दों में होता है:
- लैटिन भाषा का प्रयोग:
- वैज्ञानिक नाम लैटिन शब्दों से बने होते हैं और इन्हें अंग्रेजी में तिरछे अक्षरों (Italics) में लिखा जाता है।
- वंश और जाति का क्रम:
- वंश का नाम सबसे पहले आता है।
- वंशीय नाम (Genus) का पहले अक्षर कैपिटल होता है, जबकि जातीय नाम (Species) के सभी अक्षर स्मॉल होते हैं।
- हिन्दी में बड़े और छोटे अक्षरों का अंतर नहीं होता, इसलिए इन नामों को मोटे अक्षरों में लिखा जाता है।
- लेखक का नाम:
- जाति का नाम पहली बार प्रकाशित करने वाले लेखक का नाम जाति के बाद लिखा जाता है, जैसे:
- हैबिटस सैपियन्स लिन (Homo sapiens Linn).
- लिन या एल लेखक का प्राधिकृत चिन्ह कहलाता है (Author’s citation).
- जाति का नाम पहली बार प्रकाशित करने वाले लेखक का नाम जाति के बाद लिखा जाता है, जैसे:
- प्रमाणित नाम:
- यदि किसी जीव के लिए एक से अधिक नाम दिए गए हों, तो प्रथम प्रकाशित नाम को प्रमाणित माना जाता है, जबकि बाद के नाम पर्यायवाची नाम (Synonyms) कहलाते हैं।
- कुल और उपकुल नाम:
- जन्तुओं के वंश का नाम अंत में “इडी” (idae) जोड़कर कुल (Family) का नाम बनता है, जैसे: Felidae.
- वनस्पतियों में वंश के नाम के साथ “ऐसी” (aceae) जोड़कर कुल का नाम बनता है, जैसे: Rosaceae.
- जन्तुओं के उपकुल का नाम “इनी” (inae) से समाप्त होता है।
- नये नाम के निर्धारण हेतु संस्तुतियाँ:
- नाम लैटिन में होने चाहिए।
- प्रत्येक नाम 3 से 12 अक्षरों के बीच होना चाहिए।
- नाम उच्चारण में सुगम होना चाहिए और यह जीव के किसी लक्षण पर आधारित होना चाहिए।
- नाम दो भाषाओं पर आधारित नहीं हो सकता।
- जातीय नाम (Specific name):
- जातीय नाम तीन अक्षरों से कम और बारह अक्षरों से अधिक नहीं होना चाहिए।
- एक ही वंश (Genus) का नाम एक ही जगत (Kingdom) में दो बार नहीं दिया जा सकता, लेकिन जातीय नामों में यह हो सकता है। उदाहरण:
- मैन्जिफेरा इण्डिका (Mangifera indica) और रोजा इण्डिका (Rosa indica)।
- संयुक्त जातीय नाम:
- जातीय नाम सरल होना चाहिए, लेकिन संयुक्त हो सकता है, जैसे हिबिस्कस रोजा-साइनेन्सिस (Hibiscus rosa-sinensis).
- नाम परिवर्तित करना:
- यदि किसी जाति का नाम परिवर्तित या संशोधित किया जाता है, तो प्रारंभिक खोजकर्ता का नाम कोष्ठक में रहता है और नये खोजकर्ता का संक्षिप्त नाम कोष्ठक के बाद जुड़ता है। उदाहरण:
- एल्बिजिया लेब्बेक (लिन) बेंथ (Albizzia lebbeck (Linn) Benth).
- यदि किसी जाति का नाम परिवर्तित या संशोधित किया जाता है, तो प्रारंभिक खोजकर्ता का नाम कोष्ठक में रहता है और नये खोजकर्ता का संक्षिप्त नाम कोष्ठक के बाद जुड़ता है। उदाहरण:
- प्राथमिकता का नियम (Rule of Priority):
- यदि एक जीव जाति के लिए अलग-अलग समयों में भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों द्वारा नाम दिए गए हों, तो सबसे पहले प्रकाशित नाम को ही मान्यता दी जाती है।
