याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बात
- 1600 से 1757 ई. तक ईस्ट इण्डिया कम्पनी का उद्देश्य व्यापार करना था।
- उस समय भूमि कर ही अंग्रेजों की आय का मुख्य स्रोत था।
- अंग्रेजों ने जमींदारी, रैय्यतवाड़ी, व महलबाड़ी बन्दोबस्त प्रथाएँ लागू की थीं।
- बन्दोवस्त व्यवस्था, ठेकेदारी के स्थान पर पाँच वर्ष के लिए लागू की गई थी।
- अंग्रेज सरकार ने सन् 1789 में बंगाल प्रांत से राजस्व वसूल करने के लिए जमींदारों के साथ समझौता किया, जिसे स्थायी बन्दोबस्त कहा जाता था।
- बन्दोवस्त कानून लार्ड कार्नवालिस ने लागू किया था।
- तब किसानों को रय्यत कहा जाता पर उन्हें कृषि उत्पादन में हुए खर्च को निकालकर, शेष का पचास प्रतिशत राजस्व के रूप में पढ़ता था।
- सन् 1833-43 को लागू महलवादी व्यवस्था के अनुसार पूरे गाँवों को महल कहा जाता था, जिसमें कर जमा करने को जिम्मेदारी सामूहिक थी।
- महलवाड़ी व्यवस्था पंजाब, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी लागू किया गया था।
- छत्तीसगढ़ को अनेक परगनों में बाँटकर कमाविसदारों की नियुक्ति की गई। प्रत्येक परगनों में लगान वसूल करने के लिए अमीर और राजस्व अधिकारी होते थे।
- कम्पनी को प्रशासनिक व्यवस्था के कारण भारतीय हस्तकला और शिल्पकारी पूरी तरह नष्ट होने लगी थी।
- सन् 1864 में रायपुर में मीडिल स्कूल खोला गया था।
- सन् 1882 में राजकुमार कालेज और सन् 1938 में छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की स्थापना की गई थी।
- सन् 1887 में वायसराय लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया। पं. माधवराव सप्रे को पत्रकारिता का जनक माना जाता है।
- छत्तीसगढ़ का पहला समाचार पत्र पेंड्रा से प्रकाशित छतीसगढ़ मित्र है।
- प्रजाहितैषी पहला शासकीय समाचार पत्र था।
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1. खाली स्थान भरिए-
(1) किसी भी शासक के लिए……….. आमदनी का प्रमुख सोत था।
(2) स्थाई बन्दोवस्त व्यवस्था …………. ने लागू किया था।
(3) रैय्यतवाड़ी व्यवस्था……… की राजस्व नीति थी।
(4) अंग्रेजों ने पंजाब व मध्यप्रांत में…………. भू-राजस्व व्यवस्था लागू की।
(5) छत्तीसगढ़ के गाँवों में लगान वसूली हेतु ………… पद सृजित किया गया था।
उत्तर- (I) भू-राजस्व, (2) कार्नवालिस (3) कार्नवालिस, (4) महलवाडी व्यवस्था (5) गौटिया
प्रश्न 2. उचित सम्बन्ध जोड़िए-
1. भारत का मैनचेस्टर | (क) कलकत्ता |
2. वस्त्र उद्योग | (ख) मछलीपट्टनम |
3. जहाज निर्माण | (ग) सूरतः |
4. फोर्ट विलियम कॉलेज | (घ) ढाका। |
उत्तर- 1. (म), 2. (ग), 3. (ख), 4. (क) ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(1) 1793 में कार्नवालिस ने कौन-सी नई भूमि व्यवस्था लागू की ?
उत्तर- सन् 1793 में अंग्रेजों ने बंगाल प्रांत से राजस्व वसूलने के लिए नई भूमि व्यवस्था लागू की, जिसे स्थाई बन्दोबस्त के नाम से जाना जाता है। इसके सूत्रधार लाई कार्नवालिस थे। कार्नवालिस ने फैसला किया कि भू-राजस्व की वसूली जमींदारों के हाथ हो। यदि कोई जमींदार राजस्व वसूलने में सक्षम न हो तो उसे पद से मुक्त कर नये जमींदार की नियुक्ति कर दो आए बार-बार राजस्व निर्धारण से मुक्ति पाने के लिए कार्नवालिस ने 1789-90 में देय भू-राजस्व के आधार पर जमींदारों की अगले दस सालों के लिए जमीन का मालिकाना हक दे दिया। अब वे जमीन की खरीदी- बिक्री और लगान नहीं पटाने पर किसानों को बेदखल भी कर सकते थे। इस कानून की सबसे बड़ी कमी यह थी कि इसमें लगान को कृषि के विकास और उत्पादन में वृद्धि या घटने को अनदेखा कर दिया गया था। इससे जमींदारों को तो फायदा हुआ पर सरकार और किसानों को इससे अधिक लाभ न हो सका।
(2) अंग्रेजी शासन के समय भारत में संचार और परिवहन के साधन में क्या-क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर- अंग्रेजी शासन के समय भारत में संचार और परिवहन के क्षेत्र में कई नये अध्याय जुड़े। अंग्रेजों के लिए सम्पूर्ण भारत में अपने व्यापार के विस्तार व उसके कुशल संचालन के लिए विस्तृत परिवहन व्यवस्था की आवश्यकता थी इसलिए उन्होंने पूरे भारत में सड़क व रेल सेवाओं का विस्तार आरंभ किया। भारत में रेल सेवा की शुरुआत एक क्रांतिकारी परिवर्तन था। डलहौजी के प्रयासों से सन् 1853 में भारत में पहली रेलगाड़ी बम्बई से थाणे के बीच चली थी। भारत के प्रमुख महानगरों व व्यापारिक नगरों को बन्दरगाहों से जोड़ा गया। परिवहन और संचार के साधनों में हुए विकास के कारण लोग निकट आने लगे। सन् 1853 में भारत में टेलीग्राम सुविधा प्रारंभ हुई और डाक व्यवस्था में भी सुधार किया गया।
(3) अंग्रेजों की नई शिक्षा व्यवस्था का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- भारत में शिक्षा के विकास के लिए सन् 1813 में मैकाले की सलाह पर नई शिक्षा नीति लागू की गई। इसमें मुख्य रूप से शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी को बनाना तथा भारतीय मानसिकता को शासन के पक्ष में करना था। किन्तु नई शिक्षा नीति का भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। जो निम्न है-
(1) शिक्षा के प्रति लोगों को जागरुकता बढ़ी। (2) भारतीय ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में नये विचारों का जन्म हुआ। (3) लोग अंग्रेजी साहित्य व देश दुनिया की घटनाओं से परिचित होने लगे। (4) राष्ट्रीयता की भावना प्रबल हुई। (5) बेरोजगारी दूर होने लगी। (6) समाज में व्याप्त अंधविश्वास व रूढ़ियों के विरोध में कई सामाजिक आन्दोलन और सुधार कार्य हुए। (7) स्वतंत्रता, समानता और लोकतांत्रिक विचारों का जन्म हुआ।
(4) भारत के प्राचीन उद्योग-धंधे क्यों बन्द हो गए ?
उत्तर- भारत के प्राचीन उद्योग-धंधों के बन्द होने के कारण निम्न हैं-
1. कच्चे माल की कमी-अंग्रेज व्यापारी अत्यधिक मात्रा में भारत से कच्चे माल खरीद कर इंग्लैण्ड ले जाते थे, अतः भारतीय उद्योगों के लिए कच्चे माल की समस्या उत्पन्न हो जाती थी।
2. पूँजी की कमी- भारतीय उद्योगपतियों के पास धन की कमी थी। अंग्रेज आर्थिक रूप से अधिक सक्षम थे।
3. अंग्रेजों से प्रतिस्पर्धा अंग्रेजों द्वारा तैयार माल सस्ते व आकर्षक होते थे, अतः भारतीय उद्योगपति उनसे प्रतिस्पर्धा करने में विफल रहे।
4. तकनीकी अभाव- इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप तकनीकी ज्ञान का भण्डार था। जबकि भारतीय उद्योग परम्परागत ढंग से उत्पादन करते थे, जिसमें लागत अधिक पड़ता था।
5. उचित प्रबंधन परिवहन की समुचित व्यवस्था न होना जैसी समस्या भी प्राचीन भारतीय उद्योगों की थी।
(5) भारतीय किसानों की दशा क्यों दयनीय हो गई थी ?
उत्तर- भारतीय किसानों पर अंग्रेजों द्वारा थोपा गया राजस्व- कर बहुत भारी और अनिवार्य था। अंग्रेजों के कारिन्दे अन्यायपूर्वक किसानों से कर वसूल करते थे। यहाँ तक की अकाल जैसी भीषण परिस्थिति में भी किसानों को कर चुकाना ही पड़ता था। इसके लिए वे साहूकारों और जमींदारों से ब्याज पर पैसा लेते थे। नियत तिथि तक कर्ज चुकता नहीं करने पर उनको जमीन साहकारों द्वारा हड़प ली जाती थी। परिणामस्वरूप भारतीय किसानों की आर्थिक दशा अति दयनीय हो गई।।
(6) भारतीय दस्तकारी एवं शिल्पकलाओं के नाम लिखिए।
उत्तर- कपड़े बुनना, जूते बनाना, मिट्टी के बर्तन बनाना, लोहे से औजार बनाना, बाँस से विभिन्न वस्तुएँ बनाना, दोना, पहल, मिट्टी, लोहे और लकड़ियों पर विभिन्न प्रकार की आकृति बनाता, भवन व मंदिरों में विभिन्न आकृति बनाना, आदि प्रमुख दस्तकारी व शिल्प कला है।
(7) भारत में प्रकाशित होने वाले कोई चार समाचार पत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर – भारत में प्रकाशित होने वाले चार समाचार पत्रों के नाम- (i). द हिन्दु (ii) अमृत बाजार पत्रिका, (iii) द इंडियन मिरर (iv) इन्द्र
(8) छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होने वाले कोई चार समाचार पत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर- छत्तीसगढ़ से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों के नाम – (1) छत्तीसगढ़-मित्र, (ii) प्रजा हितैषी, (iii) महाकौशल, (iv) आजकल।
(9) ब्रिटिश भारत के दो प्रमुख बन्दरगाहों के नाम लिखिए।
उत्तर- ब्रिटिश भारत के दो प्रमुख बन्दरगाहों के नाम हैं- (1) मद्रास बन्दरगाह, (2) कोलकाता बन्दरगाह
(10) अंग्रेजों की स्थाई बन्दोवस्त नीति को समझाइये।
उत्तर- देखिए- प्रश्न क्रमांक 3(1)
(12) अंग्रेजों की नीति का भारतीय दस्तकारी एवं शिल्पकला पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- अंग्रेजों की कुटिल नीति के कारण भारतीय दस्तकारी व शिल्पकला पूरी तरह चौपट होने लगी। अंग्रेजों ने इंग्लैण्ड से आने वाली वस्तुओं को तटकर और चुंगीकर से पूर्णतः मुक्त कर दिया, जिसके फलस्वरूप वस्तुएँ बहुत सस्ती हो गई। भारतीय दस्तकारों व शिल्पियों द्वारा बनाई गई वस्तुएँ महंगी होती थीं, क्योंकि वे वस्तुओं का निर्माण कम तादाद और हाथों से बनाते थे, अतः उसका लागत मूल्य बढ़ जाता था। इसके बावजूद उन्हें अपनी वस्तु सस्ती बेचने पड़ती थी। इस प्रकार अंग्रेजों के सामने प्रतिस्पर्धा में ज्यादा समय तक टिक न सके और अपना व्यवसाय धीरे-धीरे छोड़ने लगे। इसके कारण उनको बस्तियाँ उजड़ने लगीं। “का” जिसे उस समय वस्त्र उद्योग का प्रमुख केन्द्र होने के कारण मैनचेस्टर कहा जाता था, नष्ट हो गया। मुर्शिदाबाद और सूरत के उद्योग भी बंद हो गए। कारीगर बेरोजगार हो गए। इस प्रकार कहा जा सकता है कि अंग्रेजों का स्वार्थी नीति ने भारतीय दस्तकारी व शिल्पकला की कमर तोड़ने में कोई कसर न छोड़ी।
(13) ब्रिटिश कम्पनी की नीतियों का भारतीय वन क्षेत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- ब्रिटिश कम्पनी ने भारत में विद्यमान प्राकृतिक संसाधनों को अत्यधिक नुकसान पहुँचाया। वन क्षेत्रों में कई नई मिलों व कारखानों को स्थापना की गई। भारतीय वनों में उपलब्ध कीमती व महत्वपूर्ण लकड़ियों की अंधाधुंध कटाई की गई। उसे भारत से इंग्लैण्ड भेजा जाने लगा। लकड़ियों का उपयोग अविवेकपूर्ण किया जाने लगा। धीरे-धीरे वन क्षेत्र कम होने लगे। अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का निर्ममतापूर्वक दोहन किया। उनका उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना था।
(14) ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- यह सत्य है कि अंग्रेजों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए संचार व परिवहन व्यवस्था का विस्तार किया लेकिन इससे भारत में नये अध्याय का प्रारंभ हुआ। सभी बड़े महानगरों व औद्योगिक नगरों को सड़क मार्ग द्वारा बन्दरगाहों से जोड़ा गया। भारत में रेल सेवा का शुभारम्भ भी किया गया। मुम्बई से थाणे के बीच पहली बार रेल चली। सन् 1853 में भारत में टेलीग्राम सुविधाओं का श्रीगणेश हुआ। डाक सेवा में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। समाचार पत्रों ने भी शासन की नीतियों को समझने व एकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
(15) समाचार-पत्र जनता की अपेक्षाओं को शासन तक किस तरह पहुँचाते हैं ?
उत्तर- समाचार पत्रों ने जनता की अपेक्षाओं का शासन तक पहुँचाने का भरसक प्रत्यन्न किया। शासन की कुटिल नीतियों को लोगों तक पहुँचाने व जनमत तैयार करने में समाचार पत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण थी। समाचार पत्रों को, लोकवाणी को मुखरित करने के कारण तात्कालिक वायसराय ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित कर समाचार पत्रों को नियंत्रित कर दिया। इस समय देश में द हिन्दू, द इण्डियन मिरर, अमृत बाजार पत्रिका, केसरी, मराठा, स्वदेश मिलन, प्रभाकर आदि समाचार पत्र प्रकाशित हो रहे थे।
(16) संचार और परिवहन के साधनों का विकास होने से लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। इस बात के समर्थन में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर- वर्तमान युग संचार क्रांति का युग है। इस युग में सर्वत्र मीडिया (संचार के साधनों) का बोलबाला है। यदि मीडिया चाहे तो हवा का रुख बदल दे। राष्ट्रीय भावना के विकास में मीडिया की भूमिका सर्वोपरि है। इसके लिए मीडिया को उपभोक्तावाद को भूलकर राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत होना पड़ेगा। उनके द्वारा ऐसे समाचारों का प्रकाशन व प्रसारण किया जाना चाहिए जो राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाए व मजबूत करे। सभी सम्प्रदायों के मध्य परस्पर बंधुत्व की भावना जागे। समाचार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण हो केवल सनसनीखेज बनाने के लिए घटनाओं को मिर्च मसाला लगाकर न परोसे वरन् देश प्रेम की चटनी में उसे डुबोए। मीडिया के द्वारा देश सेवा कर रहे व देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों का साक्षात्कार, प्रसारित किया जाना चाहिए। ऐसी फिल्में धारावाहिकों, वृत्तचित्रों व गीतों का प्रसारण हो जिससे राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत हो। दूरदर्शन द्वारा प्रसारित ‘हम पंछी एक डाल के सौदा, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’ आदि इस दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रयास किये जा सकते हैं।
(17) राजा राममोहन राय जैसे समाज सुधारकों ने अंग्रेजी की नई शिक्षा व्यवस्था का समर्थन क्यों किया ? इसके उत्तर में अपना तर्क दीजिए।
उत्तर-ब्रिटिश शासकों ने भारत में शिक्षा के विकास के लिए 1833 के चार्टर एक्ट के आधार पर 1835 में मैकाले की शिक्षा नीति लागू की। इसमें मुख्य रूप से अंग्रेजी पढ़ाना और उनकी मानसिकता को शासन के पक्ष में करना था। राजा राममोहन राय जैसे समाज सुधारक नई शिक्षा के समर्थक थे। उनका मानना या कि नई शिक्षा के फलस्वरूप भारतीय ज्ञान-विज्ञान, स्वतंत्रता, समानता, जनतंत्र तथा राष्ट्रीय आंदोलनों को मदद मिलेगी।
(18) ब्रिटिश युग में प्रेस का विकास समझाइए।
उत्तर- ब्रिटिश युग में प्रेस का विकास-ब्रिटिश भारत में स्वतंत्रता विषय सूचनाओं और सरकार की विफलताओं को उजागर करने के लिए समाचार पत्रों का विकास तीव्र गति से हो रहा था। उस समय हमारे देश में अंग्रेजी, बंगला, हिन्दी आदि कई भाषाओं में समाचार पत्रों का प्रकाशन आरम्भ हो गया था। लगभग सभी समाचार पत्र सरकार की गलत नीतियों व कमियों को जनता के सामने लाने में लगे हुए थे। ब्रिटिश सरकार समाचार पत्रों में छपने वाली खबरों और उसकी स्वतन्त्रता को सीमित करने की योजना बनाने लगी। सन् 1887 में भारत के तत्कालीन वायसराय लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित करवाकर समाचर पत्रों के अधिकार को सीमित कर दिया। अन्य समाचार छापने से पहले सरकारी मंजूरी आवश्यक कर दी गई तथा सरकार विरोधी समाचारों के प्रकाशन पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान किया गया। इस समय के प्रसिद्ध समाचार पत्र द हिन्दू, द इंडियन मिरर, अमृत बाजार पत्रिका, केसरी, मराठा, स्वदेश, मिलन, प्रभाकर और इन्दू प्रकाशन आदि थे। राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने में समाचार पत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
प्रश्न 4. टिप्पणी लिखिए- (अ) रैयतवाड़ी, (ब) छत्तीसगढ़ में भू-राजस्व व्यवस्था, (स) महलवाड़ी व्यवस्था।
उत्तर- (अ) रैय्यतवाड़ी-रैय्यत का आशय किसान है। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य लगान के विषय में किसानों से सीधा समझौता करना था। यह तय किया गया कि कृषि कार्य में आए खर्च को निकालकर, जो शेष बचेगा उसका 50% भू-राजस्व होगा। इस व्यवस्था में फसल और उसके मूल्य के घटने- बढ़ने से राजस्व का कोई सम्बन्ध न था। प्रारंभिक चरण में इसे बम्बई व मद्रास राज्य में 30 साल के लिए लागू किया गया था। लेकिन किसानों से सोधे समझौते के बाद भी उनका शोषण कम न हुआ।
(ब) छत्तीसगढ़ में भू-राजस्व व्यवस्था-छत्तीसगढ़ में प्रचलित राजस्व व्यवस्था के दोषों को दूर करने तथा मितव्ययी बनाने का प्रयास किया गया। सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ को कई परगनों में बाँटा गया और कमाविसदारों की नियुक्तियों को गई हर परगना में राजस्व वसूल करने के लिए अमीर, पण्डया और राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति हुई। अंग्रेज अधिकारियों ने मराठा काल में प्रचलित पटेल पद को समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर ‘गौटिया’ पद बनाया। उस समय गौटिया वर्ष में तीन किश्तों में लगान वसूल किया करते थे। लगान का निर्धारण किसान के कुल जमीन के आधार पर किया जाता था। गौटिया अपने गाँव से लगान वसूली कर सरकारी खजाने जमा करता था।
(स) महलवाड़ी व्यवस्था – इस व्यवस्था में महल का आशय ‘पूरे गाँव से है। सन् 1833 से 43 के बीच अंग्रेजों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक नई लगान नीति लागू की जिसमें पूरे गाँव से लगान वसूलने की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था को महलवाड़ी व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। इस व्यवस्था के तहत लगान जमा करने की जिम्मेदारी संयुक्त रूप से पूरे गाँव की थी। इसमें रैय्यत बन्दोबस्त की तरह कृषि खर्च और किसानों के भरण-पोषण का खर्च निकालकर जो बचता था, उसका लगभग 50% हिस्सा लगान के रूप में वसूल किया जाता था। बाद में इस व्यवस्था को पंजाब, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भी लागू किया गया था।