वर्षा बहार – श्री मुकुटधर पाण्डेय कक्षा 7वीं हिन्दी

वर्षा बहार – श्री मुकुटधर पाण्डेय

1. वर्षा बहार सबके, मन को लुभा रही है,

नभ में छटा अनूठी, घनघोर छा रही है।

बिजली चमक रही है, बादल गरज रहे हैं,

पानी बरस रहा है, झरने भी वह रहे हैं।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के ‘वर्षा बहार’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय जी हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्य में कवि वर्षा ऋतु के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं-

व्याख्या – यह सुहावनी वर्षा ऋतु सभी के मन को लुभा रही है। आसमान में घने बादल छा गये हैं जिससे उसकी शोभा अद्भुत लग रही है। रह-रहकर बिजली की चमक एवं बादलों की गर्जना के साथ पानी बरस रहा है। पानी से लबालब हुए झरने बह रहे हैं।

2. चलती हवा है ठण्डी, हिलती है डालियाँ सब,

बागों में गीत सुन्दर, गाती हैं मालिने अब ।

तालों में जीव जलचर, अति हैं प्रसन्न होते,

फिरते लाखों पपीहे, हैं ग्रीष्म ताप खोते।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भारती के ‘वर्षा बहार’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि छत्तीसगढ़ के युग प्रवर्तक श्री मुकुटधर पाण्डेय जी हैं।

प्रसंग – कवि ने इसमें वर्षा ऋतु में सौन्दर्य को चित्रित किया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में ठण्डी हवा के चलने से सभी डालियाँ हिल रही हैं। मालिनें बगीचों में सुन्दर गीत गा रही हैं। तालाबों में रहने वाले जीव बहुत ही प्रसन्न हो रहे हैं, पपीहे अपनी गर्मी को शान्त करते हुए दिखाई दे रहे हैं।.

3. करते हैं नृत्य वन में, देखो ये मोर सारे,

मेढक लुभा रहे हैं, गाकर सुगीत प्यारे।

खिलता गुलाब कैसा, सौरभ उड़ा रहा है,

बागों में खूब सुख से, आमोद छा रहा है।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक भारती के ‘वर्षा बहार’ नामक पाठ से ली गई है। इसके रचनाकार कवि छत्तीसगढ़ के युग प्रवर्तक कवि मुकुटधर पाण्डेय जी हैं।

प्रसंग – कवि ने इसमें वर्षा ऋतु के विभिन्न रूपों को चित्रित किया है।

व्याख्या – कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में जंगल में मोर नाच रहे हैं। और मेढक टर्र-टर्र की आवाज में सुन्दर गीत गाकर मनोरंजन कर रहे हैं। खिलता हुआ गुलाब कैसे अपनी सुगन्ध बिखेर रहा है और बगीचों में अत्यन्त सुख के साथ प्रसन्नता छा रही है।

4. चलते कतार बाँधे, देखो ये हंस सुन्दर,

गाते हैं गीत कैसे लेते किसान मनहर,

इस भाँति है अनोखी, वर्षा बहार भू पर,

सारे जगत की शोभा, निर्भर है इसके ऊपर।

सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक भारती के ‘वर्षा बहार’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसके रचनाकार छत्तीसगढ़ के युग प्रवर्तक कवि श्री मुकुटधर पाण्डेय जी है।

प्रसंग – कवि ने इसमें वर्षा ऋतु की महत्ता को स्पष्ट किया है।

व्याख्या -कवि कहते हैं कि वर्षा ऋतु में ये बादलों के झुण्ड हंस की तरह पंक्तिबद्ध होकर चल रहे हैं और किसान मन को हर लेने वाले गीत गा रहे हैं। इस तरह यह अनोखी वर्षा की बहार भूमि पर है और सारे संसार की सुन्दरता इसी के ऊपर ही आश्रित है।

पाठ से

प्रश्न 1. वर्षा सबके मन को कैसे लुभा रही है ?

उत्तर- वर्षा के आगमन से चारों तरफ हरियाली छा गई है। आसमान में घने बादल छाये हुए हैं। बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमक रही है, निरंतर वर्षा होने से झरने भी कल-कल की आवाजें कर रही है। इस प्रकार वर्षा हम सबके मन को लुभा रही है।

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु में हवा और बादल के विषय में क्या कहा गया है?

उत्तर- वर्षा ऋतु में ठण्डी हवाएँ चल रही है। वृक्षों की हिलती-डुलती डालियाँ झूमती हुई प्रतीत हो रही है। आसमान काले घने बादलों से आच्छादित हैं। वर्षा ऋतु में हवा और बादल का दृश्य बहुत ही सुहावना है।

प्रश्न 3. सौरभ के उड़ने से क्या हो रहा है ?

उत्तर-सौरभ के उड़ने से बर्गों में सुखद आनंद छा गया है। वातावरण मनमोहक हो रहा है।

प्रश्न 4. कवि किसानों के गीतों को मनहर क्यों कह रहा है ?

उत्तर- कवि किसानों के गीतों को मनहर इसलिए कह रहा है कि उनके गीत लोगों के मन को बहुत ही अच्छा महसूस होते हैं, ये गीत मन को हर लेते हैं।

प्रश्न 5. जीव जलचर पर वर्षा का क्या प्रभाव पड़ रहा है ?

उत्तर- जीव जलचर वर्षा से ग्रीष्म के ताप से मुक्त होकर प्रसन्न होते हैं।

प्रश्न 6. पपीहे द्वारा ग्रीष्म ताप खोने का अर्थ क्या है ?

उत्तर- पपीहे द्वारा ग्रीष्म ताप खोने का अर्थ है कि वर्षा के आने पर पपीहे अपनी गर्मी को शान्त करते हैं।

प्रश्न 7. “सारे जगत की शोभा निर्भर इसके ऊपर” कहने से कवि का क्या आशय है ?

उत्तर – कवि का आशय यह है कि वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। प्रकृति का नजारा अद्भुत होता है। ऐसा लगता है मानों चारों तरफ आनन्द व उल्लास छा गया हो। ग्रीष्म की प्रचण्डता समाप्त हो जाती है।

पाठ से आगे

प्रश्न 1. वर्षा का मोहक रूप आप भी देखते होंगे। वर्षा के कारण हमारे आसपास की प्रकृति में क्या परिवर्तन आता है ?

उत्तर- वर्षा के कारण हमारे आस-पास प्रकृति और सूखी धरती। जलमय हो जाती है और चारों ओर हरियाली छा जाती है। प्रकृति बहुत सुन्दर दिखाई देती है।

प्रश्न 2. वर्षा ऋतु जीवन और जगत को सरस बना देती है ? आपस में चर्चा कर लिखिए।

उत्तर-ग्रीष्म ऋतु के ताप से जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। मनुष्य, पशु-पक्षी सभी गर्मी से व्याकुल हो रहे होते हैं तब वर्षा की फुहारों से उन्हें गर्मी से राहत मिलती है जिससे जीवन और जगत सरस बन जाता है।