कवक जगत के लक्षण (Salient Features of Kingdom Fungi)
कवक (Fungi) यूकैरियोटिक बहुकोशिकीय, हरितलवक विहीन (Achlorophyllous) और विषमपोषी (Heterotrophic) होते हैं। ये मृतोपजीवी (Saprophytic) या परजीवी (Parasitic) जीवन जीते हैं और बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करते हैं। इन्हें पादप जगत का एक प्रभाग माना जाता है, और इनसे कुछ एककोशिकीय जीव, जिन्हें प्रोटिस्टा जगत में रखा गया है, भी समान गुणों के होते हैं। अब तक लगभग 1,00,000 प्रकार की कवक जातियाँ ज्ञात हो चुकी हैं।
कवकों का अध्ययन माइकोलॉजी (Mycology) कहलाता है, और इनका नामकरण एवं वर्गीकरण कई वैज्ञानिकों ने किया है। एन्टॉन डी बैरी के अनुसार, इन्हें सजीव गतिशील रचनाएँ कहा गया है, जबकि बैसे (Bessey) ने इन्हें क्लोरोफिल रहित असंवहनी पौधे कहा।
कवक जगत के मुख्य लक्षण:
- विषमपोषी जीवनशैली:
कवक विषमपोषी (Heterotrophic) होते हैं, अर्थात ये दूसरे जीवों से पोषण प्राप्त करते हैं। इनमें पर्णहरिम का अभाव होता है, यानी ये स्वयं भोजन नहीं बना सकते। - कवक तन्तु (Hyphae):
कवकों का शरीर तन्तुवत् होता है, जो कवक तन्तु (Hyphae) कहलाते हैं। तन्तुओं के समूह को कवकजाल (Mycelium) कहा जाता है। - कवक तन्तु की संरचना:
कवक तन्तु बहुकोशिकीय (Multicellular) या संकोशिकीय (Coenocytic) हो सकते हैं। संकोशिकीय तन्तु पटविहीन (Non-septate) होते हैं और इनकी कोशिकाएँ बहुनाभिकीय (Multinucleate) होती हैं। - कोशिका भित्ति:
कवकों की कोशिका भित्ति में काइटिन (Chitin) और फंगल सेल्यूलोज (Fungal cellulose) होता है। - परजीवी और मृतोपजीवी जीवनशैली:
कवक परजीवी या मृतोपजीवी हो सकते हैं। परजीवी कवक अपने होस्ट से सीधे भोज्य पदार्थों का अवशोषण करते हैं, जबकि मृतोपजीवी कवक पाचक एन्जाइम स्रावित करके मृत पदार्थों का अपघटन करते हैं। - पोषण और ऊर्जा संग्रहण:
कवक ग्लाइकोजन (Glycogen) और तेल की बूंदों (Oil droplets) के रूप में ऊर्जा संग्रहित करते हैं। - प्रजनन विधि:
कवकों में अलैंगिक और लैंगिक दोनों प्रकार के प्रजनन होते हैं। अलैंगिक प्रजनन जूस्पोर्स (Zoospores), एस्कोस्पोर्स (Ascospores) और बेसिडियोस्पोर्स (Basidiospores) द्वारा होता है। - विविध आवास:
कवक जल, स्थल और वायु में सर्वव्यापी होते हैं। ये सड़े-गले पदार्थों, ब्रेड, रोटी, फल, नम कपड़ा, चमड़ा, कागज, लकड़ी और पौधों व जन्तुओं के शरीर में पाये जाते हैं। कुछ कवक शैवालों के साथ लाइकेन (Lichen) और माइकोराइजा (Mycorrhiza) बनाते हैं।
कवकों की संरचना (Structure):
कवक सरल संरचना वाले जीव होते हैं, जिनका शरीर शाखित तन्तुओं से बना होता है। इन तन्तुओं को कवक तन्तु (Hyphae) कहते हैं, और इन तन्तुओं का जाल कवकजाल (Mycelium) कहलाता है। कुछ कवक तन्तुओं में पट होते हैं, जिन्हें पटयुक्त (Septate) कहते हैं, जबकि पटविहीन (Aseptate) तन्तु संकोशिकीय (Coenocytic) होते हैं। कवक कोशिकाएँ सामान्य यूकैरियोटिक कोशिकाओं के समान होती हैं, लेकिन इनमें हरितलवक (Plastids) का अभाव होता है।
विशिष्ट रचनाएँ (Special Structures):
- राइजोमॉर्फ (Rhizomorph) – जब कवक तन्तु आपस में मिलकर धागे जैसी संरचना बनाते हैं, तो इसे राइजोमॉर्फ कहते हैं।
- स्ट्रोमा (Stroma) – कवक तन्तु जब फलनकाय रूप में होते हैं, तो इसे स्ट्रोमा कहते हैं।
- स्क्लेरोशियम (Sclerotium) – कवक तन्तु उलझकर दृढ़ गद्दी जैसे रूप में बनते हैं, जिसे स्क्लेरोशियम कहते हैं।
- प्लेक्टेनकाइमा (Plectenchyma) – जब कवक तन्तु ढीले रूप में पास-पास होते हैं, तो इसे Plectenchyma कहते हैं।