कक्षा छठवीं विषय संस्कृत पाठ 5 प्रश्नोत्तर:
(गुरु-शिष्यसंवादः)
शिष्याः – नमस्ते गुरुदेव !
गुरु: -नमः शिष्येभ्यः! मोहन, किं त्वं पश्यसि ? अद्य अन्धकारः अस्ति।
मोहनः-गुरुदेव किं कारणं अन्धकारस्य ?
गुरुः – सूर्यस्य न दर्शन एवं अन्धकारस्य कारणम्। सूर्यस्य नामानि-आदित्यः, रविः, भास्करः, दिनकरः, दिनपतिः, दिवाकरः, प्रभृतीनि सन्ति।
शब्दार्था: -किं = क्या, पश्यसि देख रहे हो, अद्य – आज, न दर्शनं न दिखाई देना, एव =ही, प्रभृतानि = इत्यादि, नामानि = नाम।
अनुवाद
शिष्यगण – नमस्ते गुरुदेव !
गुरु- नमस्ते शिष्यों। मोहन, क्या तुम देख रहे हो? आज अन्धकार है।
मोहन -गुरुदेव। अन्धकार का क्या कारण है ?
गुरु- सूर्य का न दिखाई देना ही अन्धकार का कारण है। सूर्य के आदित्य, रवि, भास्कर, दिनकर, दिनपति, दिवाकर इत्यादि नाम हैं।
छात्रा:- सूर्यः किं करोति ?
गुरुः – सूर्यः प्रातः काले उदयति सायङ्काले अस्तं गच्छति च ।
छात्रा:- सूर्य इति शब्दस्य कोऽर्थः ?
गुरु: -सूर्य: आकाशे सरति इति कारणात् सूर्यः अत्र ‘सृ’ धातौ क्यप् प्रत्ययः । सूर्यस्य अन्यापि परिभाषा भवितुं अर्हति सुवति अर्थात् लोकं कर्मणि प्रेरयति इति सूर्यः अपि ।
शब्दार्थाः- करोति = करता है, उदयति =उदय होता है, कोऽर्थः = क्या अर्थ है, सरति = चलता है, अत्र = यहाँ, अन्यापि = अन्य भी, सुवति= प्रेरित करता है, कर्मणि = कर्म में, प्रेरयति = प्रेरित करता है।
अनुवाद
छात्रगण- सूर्य क्या करता है?
गुरु -सूर्य प्रातःकाल उदय होता है और शाम को अस्त होने जाता है। अर्थात् अस्त होता है।
छात्रगण – ‘सूर्य’ शब्द का क्या अर्थ है ?
गुरु -सूर्य आकाश में सरकता (चलता) है इस कारण से सूर्य (कहलाता) है। यहाँ ‘सृ (सर)’ धातु है तथा क्यप् (य) प्रत्यय है। सूर्य की अन्य परिभाषा भी होने योग्य है। प्रेरित करता है अर्थात् (जो) लोक को (संसार को) कर्म करने के लिए प्रेरित है ऐसा सूर्य ।
छात्राः -सूर्यः किं किं करोति ?
गुरु: – प्रकाशं ददाति, अन्धकारं दूरी करोति, रोग- कीटाणु समूह नाशयति, सर्व जीवं जीवयति, बुद्धि वर्धयति ज्ञानं ददाति, बलं वर्धयति, शक्तिं सञ्चारयति, अतः अस्य दैवीकरणं कृतम् । सूर्यस्य रश्मिषु सप्त रंङ्गाः परिलक्ष्यन्ते ।
शब्दार्थाः-सूर्य: = सूर्य, किं किं= क्या क्या, ददाति = देता है, नाशयति= नष्ट करता है, जीवयति =जीवित रखता है, कृतम् = बना दिया गया है, रश्मिषु= किरणों में, सप्त =सात, परिलक्ष्यन्ते= दिखाई देती है।
अनुवाद-
छात्रगण- सूर्य क्या-क्या करता है ?
गुरु :- प्रकाश देता है, अन्धकार दूर करता है, रोग कीटाणुओं के समूह को नष्ट करता है, सभी जीवों को जीवित रखता है, बुद्धि को बढ़ाता है, ज्ञान देता है, बल को बढ़ाता है, शक्ति का संचार करता है, अतः इसका दैवीकरण (देवता बना दिया गया है) किया गया है। सूर्य की किरणें सात रंग की दिखाई देती हैं।
छात्राः – पुराणे सूर्यः रामस्य कुलदेवः अस्ति ।
गुरु: -सत्यं वदसि, रामः आज्ञाकारी अस्ति। सः आज्ञां पालयितुं वेदं पठति। मारीचं मारयति, रावणं हन्ति इति ।
छात्राः- गुरुदेव । रामस्य स्वरूपं वर्णय ।
गुरुः -मस्तके मुकुटं धारयति। सः ललाटे चन्दनं धारयति । स्कन्धे यज्ञोपवीतं, शरासनं च धारयति । पृष्ठे बाण सहितं तूणीरं धारयति इति ।
शब्दार्था:- कुलदेव= कुलदेवता , वदसि =बोलते हो, पालयितुम् = पालन करने के लिए, पठति= पढ़ता है, मारयति= मारता है, वर्णय = वर्णन कीजिए, धारयति = धारण करते हैं, ललाटे = मस्तक पर, स्कन्धे= कन्धे पर, शरासनं= धनुष, तूणीरं = तरकस।
अनुवाद-
छात्रगण -पुराण में सूर्य राम का कुल देवता है।
गुरु- सत्य कहते हो, राम आज्ञाकारी है। वह आज्ञा का पालन करने के लिए वेद पढ़ता है। मारीच को मारता है, रावण को मारता है।
छात्रगण -गुरुदेव ! राम के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
गुरु : मस्तक पर मुकुट धारण करता है। वह ललाट पर चन्दन लगाता है। कन्धे पर यज्ञोपवीत (जनेऊ) और धनुष धारण करता है। पीठ पर बाण सहित तरकस धारण करता है
अभ्यास प्रश्नाः
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(अ) पाठ में आये क्रियापदों को लिखकर संस्कृत में स्वतन्त्र वाक्य बनाइए-
पश्यसि-राम: त्वम् किम् पश्यसि?
अस्ति- इदम् गृहम् अस्ति ।
सन्ति- तत्र बहवः वृक्षाः सन्ति ।
करोति-सुरेश : तत्र किम् करोति ।
उदयति-शुक्लपक्षे रात्रौ चन्द्रः उदयति ।
गच्छति-सीता शालां गच्छति ।
सरति-सर्पः सरति ।
नाशयति-यत्नः दरिद्रतां नाशयति ।
वर्धयति -विद्या बुद्धिं वर्धयति ।
ददाति -धनिकः धनम् ददाति ।
पठति-वटुकः वेदं पठति ।
हन्ति-रामः रावणं हन्ति ।
धारयति-पुरुषः वस्त्रं धारयति ।
(ब) पाठ के संज्ञा पदों को लिखकर विभक्ति के अनुसार वर्गीकरण कीजिए-
उत्तर-
प्रथमा विभक्ति | शिष्याः, नामानि, गुरुः, मोहन, छात्रा:, कुलदेव, रामः इत्यादि । |
द्वितीया विभक्ति | वेदम्, मारीचम्, रावणम्,मुकुटम् इत्यादि । |
तृतीया विभक्ति | |
चतुर्थी विभक्ति | शिष्येभ्यः । |
पंचमी विभक्ति | |
षष्ठी विभक्ति। | सूर्यस्य, रामस्य इत्यादि। |
सप्तमी विभक्ति | प्रात:काले, सायंकाले, आकाशे, रश्मिषु पुराणे मस्तके इत्यादि। |
सम्बोधन | मोहन, गुरुदेव इत्यादि। |
(स) सूर्य के पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर—सूर्य: दिनकर, दिवाकरः,भानुःभास्करः आदित्यः ।
(द) सूर्य को अपनी मातृभाषा में क्या-क्या कहते हैं ? लिखिए।
उत्तर— सूर्य, सूरज, दिवाकर, दिनकर, आदित्य, भानु, रवि, दिनपति आदि।
(ई) क्रिया पदों को अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर-पाठ में आये क्रिया पद -मातृ भाषा
1. पश्यसि -देखते हो।
2 करोति -करता है।
3. गच्छति-जाता है
4. सरति- प्रेरित करता है।
6. ददाति- दूर करता है।
8. नाशयति- नष्ट करता है। (नाश करता है।)
9. वदसि- बोलते हो।
10. पठसि- पढ़ते हो।
11. धारयति-धारण करता है।
12. मारयति- मारता है।
(फ) क्रिया पदों से धातु एवं प्रत्यय अलग कीजिए।
उत्तर- क्रिया पद – धातु – प्रत्यय
1. पश्यसि-इशू (पश्य)-सि
2 करोति- कृ- ति
3.गच्छति-गम्-ति
4. सरति- सृ-ति
5 प्रेरयति-प्रेरय्-ति
6. ददाति-दा- ति
7. दूरी करोति- दूरी+कृ- ति
8. नाशयति-नाश्-ति