हमारा पर्यावरण कक्षा 6 विज्ञान पाठ 2
1. सजीव तथा निर्जीव घटक मिलकर पर्यावरण बनाते हैं।
2. पौधे दूसरे पौधों पर निर्भर रहते हैं। जंतु दूसरे जंतुओं पर निर्भर रहते हैं तथा पौधे और जंतु एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं।

3. आहार की दृष्टि से जंतुओं के तीन भेद हैं-मांसाहारी, शाकाहारी तथा सर्वाहारी।
4. जिस प्रक्रम से हवा, पानी और मिट्टी सजीवों के लिए हानिकारक बनते हैं, उसे प्रदूषण कहते हैं।
5. यदि भोजन श्रृंखला का एक भाग किसी प्रकार प्रभावित हो जाता है, तो पूरी श्रृंखला पर प्रभाव पड़ता है।

6. पर्यावरण प्रदूषण पर रोक, वृक्षारोपण एवं वन्य प्राणी संरक्षण से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।
7. मनुष्य के क्रियाकलापों-वन काटना, प्रदूषण आदि से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है।
8. पौधे जंतु सभी अपने अस्तित्व के लिए सूर्य की रोशनी, मिट्टी, पानी और हवा पर निर्भर रहते हैं।

9. पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत सूर्य हैं।
10. पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, इसलिए इन्हें उत्पादक कहते हैं।
11. प्रत्येक आहार श्रृंखला हरे पौधे से आरम्भ होती है।
स्मरणीय बिन्दु
1. सजीव तथा निर्जीव घटक मिलकर पर्यावरण बनाते हैं।
2. पौधे दूसरे पौधों पर निर्भर रहते हैं। जंतु दूसरे जंतुओं पर निर्भर रहते हैं तथा पौधे और जंतु एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
3. आहार की दृष्टि से जंतुओं के तीन भेद हैं-मांसाहारी, शाकाहारी तथा सर्वाहारी।
4. जिस प्रक्रम से हवा, पानी और मिट्टी सजीवों के लिए हानिकारक बनते हैं, उसे प्रदूषण कहते हैं। 5. यदि भोजन- श्रृंखला का एक भाग किसी प्रकार प्रभावित हो जाता है, तो पूरी श्रृंखला पर प्रभाव पड़ता है।
6. पर्यावरण प्रदूषण पर रोक, वृक्षारोपण एवं वन्य प्राणी संरक्षण से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है।
7. मनुष्य के क्रियाकलापों-जन काटना, प्रदूषण आदि से प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाता है।
8. पौधे जंतु सभी अपने अस्तित्व के लिए सूर्य की रोशनी, मिट्टी, पानी और हवा पर निर्भर रहते हैं।
अभ्यास
प्रश्न 1. दिए गए जीव जन्तुओं की सहायता से कम-से- कम तीन खाद्य श्रृंखलाएँ बनाइए।
घास, शेर, गाय, छोटी मछली, भेड़िया, लोमड़ी, मोर, गिद्ध, बाज, कौआ, मेढक, टिड्डा, जलीय कीट, बड़ी मछली, बगुला, साँप, नेवला, शैवाल (काई), हरे पेड़-पौधे।
उत्तर-(1) खाद्य श्रृंखला-
पास→ टिड्डा मेढक साँप → मोर
(2) खाद्य श्रृंखला-
शैवाल (काई) जलीय फीट छोटी मछली बड़ी
मछली गिद्ध
(3) खाद्य श्रृंखला-
हरे पेड़ पौधे गायशेर प्रश्न 2. खाद्य श्रृंखला को पूर्ण कीजिए-
(1) हरी पास 1 मोर
(2) पौधे खरगोश
(3) शैवाल (काई) 1
बगुला उत्तर–(1) टिड्डा, (2) भेड़िया, (3) मछली।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. पर्यावरण क्या है ?
उत्तर–हमारे चारों ओर कई प्रकार की चीजें पाई जाती हैं जैसे- हवा, पानी, मिट्टी, जन्तु आदि। इन सबसे मिलकर
हमारा पर्यावरण बनता है, इन्हें पर्यावरण के घटक कहते हैं। पर्यावरण के घटक दो प्रकार के होते हैं-सजीव व निर्जीव । 2. उत्पादक और उपभोक्ता में क्या अंतर है ?
उत्पादक ऐसे जीव जो अपना भोजन स्वयं बना सकते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। पौधे अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। अत: इन्हें
उदाहरण- हरे उत्पादक कहा जाता है।
उपभोक्ता जो जीव अपने भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं, उन्हें उपभोक्ता कहते हैं।
उदाहरण-जंतुओं को पौधे एवं अन्य जंतुओं का उपभोग करना पड़ता है। अतः जंतुओं को उपभोक्ता कहते हैं।
3. सजीव तथा निर्जीव परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं,
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पौधे एवं जन्तु सजीव घटक है। वायु, जल, मिट्टी, प्रकाश आदि निर्जीव घटक है। सजीव एवं निर्जीव घटक मिलकर पर्यावरण बनाते हैं। सजीव दो प्रकार के होते हैं-पौधे और जन्तु। पौधे निर्जीव घटक वायु, जल, मिट्टी तथा प्रकाश से अपना भोजन बनाते हैं। पौधों से शाकाहारी जन्तु अपना भोजन प्राप्त करते हैं और इन शाकाहारी जन्तुओं को मांसाहारी अपना भोजन बनाते हैं। इस प्रकार सजीव तथा निर्जीव एक-दूसरे पर निर्भर हैं। 4. खाद्य श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ? लिखिए।
उत्तर- कौन किसको खाता है यह पूर्ण प्रक्रिया खाद्य श्रृंखला
कहलाती है। प्रकृति में कई खाद्य- -श्रृंखलाएँ हैं। जैसे-टिड्डा घास को खाता है, मेढक टिड्डे को खाता है, साँप मेढक को खाता है और मोर साँप को खाता है। यह एक भोजन श्रृंखला है।
मैठक
पौधा
टिड्डा
चित्र-भोजन श्रृंखला
5. यदि कम वर्षा हो तो क्या होगा ?
उत्तर- यदि कम वर्षा हो तो उस क्षेत्र के कुओं, तालाबों में पानी का स्तर कम हो जायेगा। वाष्पन के कारण से लगातार पानी की हानि होती रहती है जिसके कारण मिट्टी सुख जाती है। वर्षा कम होने से खाद्यान्न एवं चारा प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
प्रश्न 4. संक्षिप्त जानकारी दीजिए-
(अ) वायु प्रदूषण, (ब) जल प्रदूषण, (स) ध्वनि प्रदूषण, (द) वृक्षारोपण, (ङ) वन एवं वन जीव संरक्षण, (फ) अतिवर्षा से हानियाँ ।
(अ) वायु प्रदूषण कारखानों तथा घरों में लकड़ी, कोयला, गैस तेल आदि जलाए जाते हैं। ये ईंधन धुआं उत्पन्न करते हैं। यह धुआँ हानिकारक गैसों तथा सूक्ष्म कणों से भरा होता है। इनसे
वायु प्रदूषित हो जाती है। मोटर गाड़ियों एवं चलने वाले अन्य
वाहनों का धुआँ भी वायु को प्रदूषित करता है। प्रदूषित वायु में साँस लेने से कई प्रकार के फेफड़े एवं गले के रोग हो जाते हैं। (ब) जल प्रदूषण हम जल का उपयोग कपड़े धोने, नहाने तथा अन्य कई कार्यों में करते हैं। इससे जल गंदा हो जाता है। कई नगरों में गंदे पानी या नाले के पानी को नदियों या झीलों में बहा दिया जाता है। वे अपने जानवरों को भी इन्हीं जगहों में नहलाते हैं। कई बार जन्तु जल स्रोत में या उसके आस-पास मल त्याग भी करते हैं, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है। यह प्रदूषित पानी कई बीमारियों को जन्म देता है।
(स) ध्वनि प्रदूषण- शोर भी एक प्रकार का प्रदूषण है। रेडियो, टेलीविजन, मोटर गाड़ियों के हार्न, जेट हवाई जहाज आदि से तेज आवाज या ध्वनि निकलती है।
यदि लगातार तेज आवाज कानों पर पड़ती रहे तो इससे मनुष्य के सुनने की क्षमता कम हो जाती है या बहरा हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण का स्वास्थ्य पर भी खराब प्रभाव पड़ता है। मनुष्य चिड़चिड़ा हो जाता है, उसे सिरदर्द, चक्कर आना आदि बीमारियाँ हो हैं।
(च) वृक्षारोपण वनों की कटाई से वन्य जीवों का जीवन
असुरक्षित हो गया है, जैसा कि हम जानते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में एक खाद्य श्रृंखला चलती है। इस खाद्य श्रृंखला से कोई भी जीव हट जाए तो खाद्य श्रृंखला टूट जाती है, इससे प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न हो जाता है। प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए बनों की कटाई नहीं करनी चाहिए तथा वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।
(इ) वन एवं वन्य जीव संरक्षण मनुष्य अपनी आवश्यक- ताओं की पूर्ति के लिए लगातार वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है, जिससे हमारा प्राकृतिक पर्यावरण नष्ट होता जा रहा है तथा मनुष्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से वन एवं वन्य जीवों को भी हानि पहुँचा रहा है। वनों की कटाई से वन्य जीवों का जीवन असुरक्षित हो गया है, जिससे प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न हो गया है। प्रकृति में संतुलन बनाये रखने के लिए वनों की कटाई नहीं करना चाहिए। वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए अभ्यारण्य व राष्ट्रीय उद्यान बनाए जाने चाहिए।
(फ) अतिवर्षा से हानियाँ भारी वर्षा से नदी, नालों में पानी का स्तर बढ़ जाता है और यह फैलकर बाढ़ का रूप ले लेता है। बाढ़ से फसलों, पशुओं तथा मानव सम्पदा को हानि पहुँचती है और जब बाढ़ का पानी उतरता है तो बहुत से जलजीव कीचड़ में फंस कर मर जाते हैं। इस समय बहुत से रोगों के रोगाणु भी उत्पन्न होते हैं जो कई बीमारियों को फैलाते हैं।
प्रश्न 5. अपने आस-पास पाए जाने वाले दो-दो शाकाहारी, मांसाहारी जन्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर- शाकाहारी जन्तु मांसाहारी जन्तु – गाय, बकरी। मेढक, छिपकली ।
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प्रश्न 6. छत्तीसगढ़ राज्य में पाए जाने वाले पक्षियों एवं
सर्पों की प्रजातियों के नाम लिखिए। उत्तर- छत्तीसगढ़ राज्य में पाए जाने वाले पक्षियों की प्रजातियों
के नाम – पहाड़ी मैना, कोयल, दूधराज, मोर, बगुला आदि हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में पाए जाने वाले सर्पों की प्रजातियों के नाम-नाग, करैत, अजगर, धामन आदि हैं।
प्रश्न 7. वन्य जीवों की सुरक्षा के उपाय लिखिए। उत्तर- वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए वनों की कटाई नहीं करना चाहिए तथा वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान बनाए जाने चाहिए।
प्रश्न 8. बुधराम के अनुसार काला धुआँ छोड़ने वाले वाहनों के चालकों पर जुर्माना किया जाना चाहिए, इस पर आप अपनी सहमति या असहमति कारण सहित लिखिए। उत्तर- बुधराम के अनुसार काला धुआँ छोड़ने वाले चालकों
पर जुर्माना किया जाना चाहिए, क्योंकि यह काला धुआँ वायुमण्डल में मिलकर वायुमण्डल को प्रदूषित कर देता है, जिसका स्वास्थ्य
पर भी बुरा असर पड़ता है।