जीवधारियों का नामकरण
स्थानीय नाम (Vernacular Name)
प्रकृति में लाखों प्रकार के जीवधारी, पेड़-पौधे, और जानवर होते हैं, जिन्हें विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह नाम स्थानीय भाषा पर निर्भर होते हैं, जिससे एक ही जीवधारी को अलग-अलग जगहों पर भिन्न नाम मिलते हैं। इन नामों को स्थानीय नाम या वनैकुलर नाम कहा जाता है।
उदाहरण:
- घरों में पाई जाने वाली चिड़िया, गौरैया, उत्तर भारत में इसे गौरैया कहा जाता है, आंध्र प्रदेश में इसे पिच्चुका (Pichehuia), हॉलैंड में मुश्च (Musch), जापान में सुजून (Suzune), और इंग्लैंड में इसे हाउस स्पैरो (House Sparrow) कहा जाता है।
इन भिन्न-भिन्न नामों के कारण एक ही जीवधारी के बारे में सही जानकारी प्राप्त करना कठिन हो जाता है, इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि सभी जीवधारियों को एक ऐसा नाम दिया जाए जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाए। यह नाम वैज्ञानिक नाम (Scientific Name) होते हैं।
नामकरण की पद्धतियाँ (Systems of Nomenclature)
- द्विनाम नामकरण पद्धति (Binomial Nomenclature)
यह पद्धति वैज्ञानिक कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) द्वारा प्रस्तावित की गई थी। इसके अनुसार प्रत्येक जीवधारी के दो नाम होते हैं:- वंश नाम (Generic Name): यह नाम पहले आता है और जीवधारी के परिवार या समूह का प्रतिनिधित्व करता है।
- जाति नाम (Specific Name): यह नाम दूसरे स्थान पर आता है और जीवधारी के विशिष्ट प्रकार या प्रजाति को दर्शाता है।
आलू का वानस्पतिक नाम Solanum tuberosum है, जिसमें Solanum वंश नाम (Generic Name) है और tuberosum जाति नाम (Specific Name) है। - त्रिनाम नामकरण पद्धति (Trinomial Nomenclature)
कभी-कभी एक ही जाति के जीवों में भिन्नताएँ होती हैं, विशेषकर जब वे अलग-अलग पर्यावरण में रहते हैं। इस स्थिति में वैज्ञानिकों ने उपजाति का नामकरण किया, जिससे जीव का नाम तीन शब्दों का हो गया। इस पद्धति को त्रिनाम नामकरण पद्धति कहते हैं।उदाहरण:- भारतीय कौवा का वैज्ञानिक नाम Corvus splendens splendens है।
- बर्मी कौवा का वैज्ञानिक नाम Corvus splendens insolens है।
- लंकाई कौवा का वैज्ञानिक नाम Corvus splendens protegalus है।
नामकरण के लाभ (Advantages of Nomenclature)
- पहचान और अध्ययन में सुविधा:
वैज्ञानिक नामकरण से पौधों और जीवों की पहचान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता आती है, जिससे शोधकर्ताओं को विभिन्न स्थानों पर जीवों की पहचान और अध्ययन में आसानी होती है। - वैश्विक समानता:
वैज्ञानिक नामों के उपयोग से जीवधारियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समान नाम मिलते हैं, जिससे किसी भी जीवधारी के बारे में विभिन्न भाषाओं में अध्ययन और जानकारी साझा करना आसान हो जाता है।
इस प्रकार, जीवधारियों का नामकरण वैज्ञानिक अध्ययन में सहूलत और समानता प्रदान करता है, जिससे दुनिया भर में एक सटीक और सामान्य पहचान स्थापित की जाती है।