शमशेरबहादुर सिंह का साहित्यिक परिचय
शमशेरबहादुर सिंह जी का साहित्यिक जीवन परिचय
शमशेर का जन्म 13 जनवरी 1911 को देहरादून के एक प्रतिष्ठित जाट परिवार में हुआ था। उनकी मृत्यु 12 मई 1993 को अहमदाबाद में डॉ॰ रंजना अरगड़े के निवास में हुई।
शमशेरबहादुर सिंह जी की रचनाएँ
कविता-संग्रह-
- कुछ कविताएँ – १९५९ (चयनकर्ता और प्रकाशक- जगत शंखधर, कामाच्छा, वाराणसी)
- कुछ और कविताएँ – १९६१ (अब ‘कुछ कविताएँ व कुछ और कविताएँ’ नाम से संयुक्त संस्करण, राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- चुका भी हूँ नहीं मैं – १९७५ (राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- इतने पास अपने – १९८० (राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- उदिता : अभिव्यक्ति का संघर्ष – १९८० (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- बात बोलेगी – १९८१ (सम्भावना प्रकाशन, हापुड़)
- काल तुझसे होड़ है मेरी – १९८८ (वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ -१९९५ (संपादक- रंजना अरगड़े; राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- सुकून की तलाश में -१९९८ (संपादक- रंजना अरगड़े; वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
चयनित-कविता-संग्रह-
- प्रतिनिधि कविताएँ – १९९० (संपादक- नामवर सिंह; राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- टूटी हुई बिखरी हुई (चुनी हुई कविताएँ) – १९९० (संपादक- अशोक वाजपेयी; राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली)
गद्य रचनाएँ-
- दो आब (निबंध-संग्रह) -१९४८ (सरस्वती प्रेस, बनारस)
- प्लाट का मोर्चा (कहानी और स्केच-संग्रह) – १९५२ (न्यू लिटरेचर, इलाहाबाद)
- कु्छ गद्य रचनाएँ (‘दो आब’, ‘प्लॉट का मोर्चा’ एवं कुछ डायरियों का एकत्र संकलन; संपादक-मलयज एवं रंजना अरगड़े, संभावना प्रकाशन, हापुड़)
- कुछ और गद्य रचनाएँ (संपादक- रंजना अरगड़े)
अनुवाद-
- पृथ्वी और आकाश (रूसी के अंग्रेजी अनुवाद से) – १९४४ (मूल लेखक- वांदा वैसिल्युस्का; सरस्वती प्रेस, बनारस)
- षड्यंत्र (अंग्रेजी से) – १९४६ (मूल लेखक- माइकल सेयर्स और एल्बर्ट ई॰ कान; पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली)
- कामिनी (उर्दू से) – १९४८ (मूल लेखक- रतन नाथ सरसार; सरस्वती प्रेस, इलाहाबाद)
- हुश्शू (उर्दू से) – १९४८ (मूल लेखक- रतन नाथ सरसार; सरस्वती प्रेस, इलाहाबाद)
- पी कहाँ (उर्दू से) – १९४८ (मूल लेखक- रतन नाथ सरसार; सरस्वती प्रेस, इलाहाबाद)
- उर्दू साहित्य का संक्षिप्त इतिहास – १९५६ (मूल लेखक- प्रोफेसर एजाज़ हुसैन; राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली)
- आश्चर्यलोक में एलिस (अंग्रेजी से) – १९६१ (मूल लेखक- लुई कैरोल; राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली)
रचना-समग्र-
- शमशेर बहादुर सिंह रचनावली (छह खण्डों में; सजिल्द एवं पेपरबैक) – २०१७ (संपादक- रंजना अरगड़े; इसके चौथे एवं पाँचवें खण्ड में अनूदित कृतियाँ भी संकलित हैं। शिल्पायन, शाहदरा, दिल्ली से प्रकाशित)
शमशेरबहादुर सिंह जी का वर्ण्य विषय
निराला के प्रति उनका यह आत्यन्तिक लगाव उनकी वादमुक्त प्रतिबद्धता को भी प्रतीकित करता है। निराला घोषित रूप से मार्क्सवादी नहीं थे, परंतु वह चेतना उनमें अंतर्निहित थी। शमशेर मार्क्सवाद अपनाने की बात कहते हैं, परंतु उसकी सीधी और स्पष्ट अभिव्यक्ति न दे सकने की बात भी स्वीकार करते हैं।
शमशेरबहादुर सिंह जी का लेखन कला
मलयज का मानना है कि :
“शमशेर ‘मूड्स’ के कवि हैं किसी ‘विज़न’ के नहीं। यह अवश्य है कि उनका ‘मूड’ उस व्यक्ति का ‘मूड’ है, जो हमारे-आपके समाज में उसकी सम्पूर्ण विसंगतियों, विडम्बनाओं, यानी एक शब्द में ‘यथार्थ’ के बीच रहता है, उन्हें भोगता है और उन्हें जीता है।”
शमशेरबहादुर सिंह जी साहित्य में स्थान
हिन्दी कविता में निरन्तर प्रयोगशील रहने वाले, बिम्ब को काव्य-भाषा के रूप में प्रयुक्त करने वाले, प्रेम और सौन्दर्य के कवि तथा अनूठे माँसल ऐन्द्रिय बिम्बों के रचयिता होने पर भी शमशेर आजीवन प्रगतिवादी विचारधारा से जुड़े रहे।
- साहित्य अकादमी पुरस्कार “चुका भी हूँ नहीं मैं” के लिये – १९७७
- ‘मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार’ (मध्यप्रदेश सरकार) – १९८७
- ‘कबीर सम्मान’ (मध्यप्रदेश सरकार) – १९८९