जवाहरलाल नेहरुः कक्षा 6 संस्कृत पाठ 14

जवाहरलाल नेहरुः कक्षा 6 संस्कृत पाठ 14

जवाहरलालनेहरू: महोदयः स्वतन्त्रभारतवर्षस्य प्रथमः प्रधानमन्त्री आसीत् । सः स्वतन्त्रतासंग्रामे स्वेच्छयागतः । तदा महात्मागांधी अहिंसकान्दोलनस्य नेतृत्वं करोतिस्म ।

 शब्दार्था:-आसीत्=थे, स्वेच्छयागतः अपनी इच्छा से गये, तदा = तब, नेतृत्वं = नेतृत्व (अगुवाई), करोतिस्म= कर रहे थे। 

अनुवाद – जवाहरलाल नेहरू महोदय स्वतन्त्र भारत वर्ष के प्रथम प्रधानमंत्री थे। वे स्वतन्त्रता संग्राम में अपनी इच्छा से गये। तब (उस समय) महात्मा गांधी अहिंसा आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे।

अस्यः जनकः श्री मोतीलालनेहरू: मातास्वरूपरानी, कमलाधर्मपत्नी, इन्दिरा च एका सुता, विजयलक्ष्मीपण्डिता भगिनी आसीत् । ‘आंग्लदेशे’, ‘कैम्ब्रिज’ इति विश्वविद्यालये, शिक्षां समाप्य सः स्वदेशे समागतः । तदा प्रभृति सः स्वजीवनस्य लोकार्पणम् अकरोत् ।

शब्दार्था:- अस्य = इनके, जनकः = पिता, एका = इकलौती, सुता = पुत्री, भगिनी बहन, समाप्य =समाप्त करके, समागत: = आये, अकरोत् =कर दिया।

अनुवाद- इनके श्री मोतीलाल नेहरू पिता, स्वरूपरानी माता, कमला धर्मपत्नी, इन्दिरा पुत्री तथा विजय लक्ष्मी पण्डित बहन थीं। इंग्लैण्ड देश में ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में शिक्षा समाप्त (पूरी) करके वे अपने देश आ गये। तब से लेकर उन्होंने अपने जीवन को देश के लिए अर्पित कर दिया।

जवाहरलालः कृपालुः, सहृदयः, वाग्मी, विधिज्ञः च आसीत्। महात्मा गांधी यदि राष्ट्रपिता कथ्यते तर्हि नेहरू- राष्ट्रनिर्माता। नेहरूः लेखकः अपि आसीत्। तेन लिखितानि बहूनि पुस्तकानि सन्ति। नेहरू साहित्यं लोकप्रियमस्ति। अद्यापि सर्वे तानि पुस्तकानि पठन्ति । ज्ञानसमृद्धाः च भवन्ति। सः बहुवारे कारागारं अपि अगच्छत्। 1942 ख्रिष्टाब्दे प्रस्ताव पारित:- ‘भारतं त्यज’ अयं प्रस्तावः देशे सर्वत्र प्रसृतः । अस्मिन् आन्दोलने नेहरू परिवारस्य सक्रियः सहयोगः आसीत्। बालानां चाचा नेहरू अतिप्रियः ।

शब्दार्थाः- सहृदय = भावुक, वाग्मी =भाषण में निपुण, विधिज्ञः = कानून का ज्ञाता, तर्हि =तो, अपि =भी, आसीत् = थे, बहूनि  = बहुत, कारागारं = जेल, अगच्छत् =गये, त्यज =छोड़ो, सर्वत्र = हर जगह, प्रसृतः = फैल गया।

अनुवाद- जवाहरलाल कृपालु, सहृदय (भावुक ), भाषणकला में निपुण और विधिशास्त्र के ज्ञाता थे। महात्मा गांधी यदि राष्ट्रपिता कहलाते हैं, तो नेहरू राष्ट्र निर्माता नेहरू लेखक भी थे। उनके द्वारा लिखित बहुत-सी पुस्तकें हैं। नेहरू साहित्य लोकप्रिय है। आज भी उन पुस्तकों को सभी पढ़ते हैं और ज्ञान से समृद्ध होते हैं। वे बहुत बार कारागार (जेल) भी गये। 1942 ई. वर्ष में प्रस्ताव पारित किया गया- भारत छोड़ो’ यह प्रस्ताव देश में सब जगह फैल गया। इस आन्दोलन में नेहरू परिवार का सक्रिय सहयोग था। बच्चों में ‘चाचा नेहरू बहुत प्रिय थे।