कवकों का वर्गीकरण (Classification of Fungi)
कवकों को विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा अलग-अलग आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। प्रमुख वर्गीकरण आधार निम्नलिखित हैं:
- कायिक अवस्था की प्रकृति
- प्रजनन विधि
- बीजाणुओं के प्रकार
- बीजाणुधानियों के प्रकार
- जीवन-चक्र
- लैंगिक प्रजनन या परफेक्ट अवस्था की उपस्थिति या अनुपस्थिति
जे. सी. आइन्सवर्थ (J. C. Ainsworth, 1973) द्वारा प्रस्तावित कवकों का वर्गीकरण
जे. सी. आइन्सवर्थ ने कवकों का वर्गीकरण जगत-माइकोटा के नाम से किया। इस वर्गीकरण में कवकों को दो प्रमुख प्रभागों में बांटा गया है:
(A) प्रभाग – मिक्सोमाइकोटा (Myxomycota)
- इन कवकों का शरीर जीवद्रव्य के नग्न समूह से बना होता है।
- इस प्रभाग में अवपंक कवक (Slime moulds) शामिल हैं। हालांकि, पाँच जगत वर्गीकरण में इन्हें प्रोटिस्टा जगत में रखा जाता है।
(B) प्रभाग – वूमाइकोटा (Eumycota)
- इन्हें वास्तविक कवक कहा जाता है। इनका शरीर कवक तन्तुओं से बना होता है, जिनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है।
- इसे जीवन-चक्र में चल कोशिकाओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर पाँच उप-प्रभागों में बाँटा गया है:
उप-प्रभाग 1. मैस्टिगोमाइकोटिना (Mastigomycotina)
- इनमें चल बीजाणु (Zoospores) बनते हैं।
- लैंगिक जनन के बाद ऊगैमस (Oogamous) प्रकार के उस्पोर्स बनते हैं।
- उदाहरण: सिनकाइट्रियम, पाइथियम, फाइटोफ्थोरा।
उप-प्रभाग 2. जाइगोमाइकोटिना (Zygomycotina)
- इसमें चल कोशिका अनुपस्थित होती है।
- लैंगिक जनन मौजूद होता है और इसके बाद जाइगोस्पोर (Zygospore) का निर्माण होता है।
- उदाहरण: म्यूकर, राइजोपस।
उप-प्रभाग 3. ऐस्कोमाइकोटिना (Ascomycotina)
- इसमें भी चल कोशिका अनुपस्थित होती है।
- लैंगिक जनन मौजूद होता है और इसके बाद ऐस्कोस्पोर्स (Ascospores) का निर्माण होता है।
- उदाहरण: एस्परजिलस, पेनिसिलियम।
उप-प्रभाग 4. बेसिडियोमाइकोटिना (Basidiomycotina)
- इसमें चल कोशिका अनुपस्थित होती है।
- लैंगिक जनन होता है और इसके बाद बेसिडियोस्पोर्स (Basidiospores) का निर्माण होता है।
- उदाहरण: पक्सीनिया, अस्टिलेगो।
उप-प्रभाग 5. ड्यूटेरोमाइकोटिना (Deuteromycotina)
- इसमें चल बीजाणु तथा लैंगिक जनन दोनों अनुपस्थित होते हैं।
- उदाहरण: अल्टरनेरिया।
बैसे (Bessey, 1950) द्वारा वर्गीकरण
बैसे ने कवकों को 1950 में दो प्रमुख समूहों और पाँच वर्गों में बाँटा। हालांकि, उन्होंने कवकों का वर्गीकरण पहले के आधारों पर किया था, जिसमें लैंगिक प्रजनन और जीवन-चक्र के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया था।