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Class 11 Study Material ( कक्षा 11 अध्ययन सामग्री )

••Hindi ••  English •• Biology •• Chemistry•• ••Physics ••  Mathematics••

इकाई 1: जीव जगत में विविधता

अध्याय

अध्याय 1. सजीव जगत

अध्याय 2. जैवीय वर्गीकरण

  • जैवीय वर्गीकरण
  • वर्गीकरण की आवश्यकता
  • वर्गीकरण के प्रकार
  • जीवों के वर्गीकरण की प्रणालियाँ
  • जीवन के तीन अनुक्षेत्र
  • लाइकेन
  • विषाणु
  • टोबैको मोजैक विषाणु की संरचना
  • जीवाणुभोजी की संरचना
  • विषाणुओं का आर्थिक महत्व
  • वाइरॉइड्स
  • प्रिऑन

अध्याय 2 (A) जगत मोनेरा

  • जगत मोनेरा के जीव
  • मोनेरा का वर्गीकरण

अध्याय 2 (B) जगत-प्रोटिस्टा

अध्याय 2 (C) जगत-कवक

अध्याय 3. जगत-प्लान्टी (पादप)

  • शैवाल
  • शैवालों के विशिष्ट लक्षण
  • शैवाल का वर्गीकरण
  • प्रभाग-रोडोफाइटा (लाल शैवाल)
  • प्रभाग-फियोफाइटा (भूरा शैवाल)
  • ब्रायोफाइटा
  • वर्गीकरण
  • ब्रायोफाइटा का आर्थिक महत्व
  • टेरिडोफाइटा
  • टेरिडोफाइटा का वर्गीकरण
  • टेरिडोफाइट्स की जीवन पद्धति
  • नग्नबीजी या अनावृत्तबीजी
  • अनावृत्तबीजियों का वर्गीकरण
  • आवृत्तबीजी पौधे
  • आवृत्तबीजियों का स्थूल वर्गीकरण
  • आवृत्तबीजियों का आर्थिक महत्व

अध्याय 4. जन्तु-जगत

  • जन्तु-जगत से परिचय
  • जन्तुओं के प्रमुख अभिलक्षण
  • वर्गीकरण का आधार
  • जन्तुओं का वर्गीकरण
  • संघ-कॉर्डेटा

इकाई 2 : जन्तु और पादपों का शारीरिक संगठन

अध्याय

अध्याय 5. पुष्पीय पादपों की आकारिकी एवं रुपान्तरण

  • पुष्पीय पादप के भाग
  • जड़ की आकारिकी
  • तना की आकारिकी
  • पत्ती की आकारिकी
  • पुष्पक्रम
  • पुष्प की आकारिकी
  • जरायुविन्यास या बीजाण्डन्यास
  • पुष्प की सममिति
  • फल तथा बीज का निर्माण
  • फल की आकारिकी
  • बीज-आकारिकी
  • महत्वपूर्ण पादप कुलों का वर्णन

अध्याय 6. पुष्पीय पादपों की शारीरिकी

  • पादप शारीरिकी का महत्व
  • पादप ऊतक
  • प्ररोहाग एवं मूलाग्र की संरचना एवं संगठन से सम्बन्धित सिद्धान्त
  • स्थायी ऊतक
  • ऊतक तंत्र
  • एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री पौधों में जड़, तना तथा पत्ती की आंतरिक रचना।
  • जड़ एवं तना में द्वितीयक वृद्धि

अध्याय 7. प्राणियों में संरचनात्मक संगठन

  • उपकला ऊतक
  • तिलब‌ट्टा का जीवन इतिहास
  • आंतरिक रचना
  • जनन तंत्र
  • कॉकरोच का आर्थिक महत्व

इकाई 3 : कोशिका-जीवन की आधारभूत इकाई

अध्याय

अध्याय 8. कोशिका: संरचना एवं कार्य

  • कोशिका की खोज
  • कोशिका सिद्धांत
  • स्वयं संचालित मूल इकाई के रूप में कोशिका
  • प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकायें
  • कोशिका भित्ति
  • प्लाज्मा झिल्ली
  • जीवद्रव्य
  • कोशिकाद्रव्य
  • रिक्तिकायें
  • माइटोकोण्ड्रिया
  • लवक
  • क्लोरोप्लास्ट या हरितलवक
  • अंतःप्रर्द्रव्यी जालिका या एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम
  • गॉल्जीकाय
  • लाइसोसोम
  • राइबोसोम
  • तारककाय
  • सूक्ष्मकायें
  • माइकोट्‌यूब्यूल्स (सूक्ष्म नलिकायें)
  • यूक्ष्मतन्तु
  • सिलिया एवं कशाभिका
  • केन्द्रक
  • गुणसूत्र

अध्याय 9. जैव-अणु

  • सजीव कोशिका का रासायनिक संघटक
  • कोशिका के अकार्बनिक यौगिक
  • कोशिका के कार्बनिक पदार्य
  • वसा या लिपिड्स
  • अमीनो अम्ल
  • प्रोटीन
  • न्यूक्लियोटाइड्स
  • न्यूक्लिक अम्ल या नाभिकीय अम्ल
  • एन्जाइम

अध्याय 10. कोशिका चक्र एवं कोशिका विभाजन

  • कोशिका चक्र
  • कोशिका विभाजन के प्रकार
  • अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व
  • समसूत्री तथा अर्द्धसूत्री विभाजन में अति महत्वपूर्ण अंतर

इकाई 4 : पादप कार्यिकी

अध्याय

अध्याय 11. पादपों में परिवहन

  • पादप-जल संबंध
  • पौधों में परिवहन
  • लघु दूरी परिवहन
  • (A) निष्क्रिय परिवहन
  • (B) सक्रिय परिवहन
  • पौधों में विसरण का महत्व
  • पारगम्यता
  • विभिन्न प्रकार के विलयन
  • परासरण
  • पादप कोशिका का परासरण सम्बन्ध
  • विसरण दाब न्यूनता, परासरण दाब एवं स्फीति दाब में सम्बन्ध
  • जल विभव की अवधारणा
  • जीवद्रव्यकुंचन
  • अन्तःशोषण
  • जल का लम्बी दूरी तक परिवहन
  • पौधों के लिए जल का महत्व
  • जल अवशोषण करने वाले अंग
  • जल अवशोषण की क्रिया विधि
  • रसारोहण या जल परिवहन
  • मूल दाब सिद्धान्त
  • जल का ससंजन तथा वाष्पोत्सर्जन का अपकर्षणवाद
  • वाष्पोत्सर्जन
  • वाष्पोत्सर्जन के प्रकार
  • वाष्पोत्सर्जन पर प्रभाव डालने वाले कारक
  • वाष्पोत्सर्जन का महत्व
  • बिन्दुस्रावण या उद्घणन
  • रन्ध्र
  • रन्ध्रों का खुलना एवं बन्द होना
  • रन्ध्रों के खुलने एवं बन्द होने की क्रियाविधि
  • खनिज लवणों का अवशोषण
  • खनिज तत्वों के अवशोषण की क्रियाविधि
  • सक्रिय अवशोषण के सिद्धांत
  • घुलित पदार्थों का परिगमन
  • फ्लोएम की संलग्नता का प्रायोगिक निरुपण
  • स्थानान्तरण की क्रिया विधि
  • कार्बनिक विलेयों के स्थानान्तरण को प्रभावित करने वाले कारक

अध्याय 12. खनिज पोषण

  • अनिवार्य खनिज तत्व
  • आविष तत्व
  • विभिन्न खनिज तत्वों की पौधों में आवश्यकता
  • तरल संवर्धन या हाइड्रोपोनिक्स
  • पौधों में आवश्यक खनिज लवणों के सामान्य कार्य
  • सूक्ष्म पोषक एवं उसके विशिष्ट कार्य
  • विलेयों का स्थानान्तरण
  • खनिज तत्वों का अवशोषण
  • नाइट्रोजन उपापचय

अध्याय 13. उच्च पौधों में प्रकाश संश्लेषण

  • प्रकाश संश्लेषण का महत्व
  • महत्वपूर्ण खोजें
  • प्रकाश-संश्लेषण के क्रियास्थल एवं वर्णक
  • हरितलवक की परासंरचना
  • प्रकाश का प्रकृति
  • प्रकाश रासायनिक तथा जैवसंश्लेषी क्रियाएँ

(A) प्रकाश अभिक्रिया

(B) जैव-संश्लेषी अवस्था अर्थात अप्रकाशीय अभिक्रिया

  • अन्य कार्बन स्थिरीकरण प्रक्रिया
  • प्रकाशीय श्वसन
  • प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारक

अध्याय 14. पादपों में श्वसन

  • प्रस्तावना
  • श्वसन के प्रकार
  • श्वसन का महत्व
  • किण्वन
  • एम्फिबोलिक पथ
  • श्वसन भागफल या श्वसन अनुपात
  • श्वसन दर को प्रभावित करने वाले कारक

अध्याय 15. पादप-वृद्धि एवं विकास

  • बीज अंकुरण की प्रक्रिया
  • अंकुरण की परिस्थितियाँ तथा कारक
  • वृद्धि
  • वृद्धि की प्रावस्थाएँ
  • वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक
  • वृद्धि दर
  • विभेदन, निर्विभेदन तथा पुनर्विभेदन
  • परिवर्धन अथवा विकास
  • वृद्धि के लिए उपयुक्त दशाएँ
  • पादप हॉर्मोन या वृद्धि नियामक पदार्थ
  • ऑविजन
  • जिबरेलिन्स
  • सायटोकाइनिन्स या काइनिंस
  • एथीलिन
  • एब्सिसिक अम्ल
  • वसन्तीकरण
  • फाइटोक्रोम
  • दीप्तिकालिता
  • दीप्तकाल के आधार पर पौधों का वर्गीकरण
  • प्रकाश उ‌द्दीपकों का ग्रहण तथा पुष्पन का प्रारंभ
  • दीप्तिकालिता को प्रभावित करने वाले कारक
  • बीज प्रसुप्ति

इकाई 5: मानव शारीरिकी

अध्याय

अध्याय 16. पाचन एवं अवशोषण

  • पाचन
  • पाचन के प्रकार
  • मनुष्य में पाचन
  • मानव का आहार नाल
  • आहार नाल की आंतरिकी
  • पाचन ग्रंथियों
  • प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन एवं पाचक एब्जाइम
  • भोजन का अवशोषण
  • अवशोषित पाचित पदार्थों का स्वांगीकरण
  • आहारनाल में गतियाँ
  • मल निर्माण एवं बहिःक्षेपण
  • पाचन क्रिया में हॉर्मोन्स का महत्व
  • पाचन तंत्र की अनियमितता
  • कैलोरी व कार्यिकी मान

अध्याय 17. श्वासोच्छवास एवं गैसों का विनिमय

  • परिचय
  • श्वसनीय सतह के लक्षण
  • गैसीय आदान-प्रदान
  • गैसीय आदान-प्रदान के प्रकार
  • श्वसन के चरण
  • मनुष्य में श्वसन
  • मानव श्वसन अंग
  • फेफड़े-मुख्य श्वसन अंग
  • फेफड़ों की आंतरिक संरचना
  • श्वसन की क्रिया विधि
  • फेफड़ों में वायु का आयतन एवं धारिता
  • आंशिक दाव
  • गैसों का संचरण
  • हीमोग्लोबिन की गैसीय परिवहन में भूमिका
  • श्वासोच्छ्‌वास का नियंत्रण या नियमन
  • श्वसन का नियमन
  • ऑक्सीजन विघटन चक्र एवं वक्र
  • श्वसन संबंधी विकार या अनियमिततायें

अध्याय 18. शरीर द्रव तथा परिसंचरण

  • परिसंचरण तंत्र के प्रकार
  • खुला एवं बंद परिसंचरण तंत्र
  • रक्त या रुधिर
  • रक्त का थक्का बनना
  • रक्त समूह की पहचान
  • लसिका तंत्र
  • रुधिर परिसंचरण तंत्र
  • हृदय
  • परिसंवरण तंत्र
  • मनुष्य का रुधिर परिसंचरण तंत्र
  • मनुष्य का हृदय
  • हृदय स्पंदन की क्रिया-विधि का नियमन
  • रुचिर वाहिकायें
  • मनुष्य का रुधिर परिसंचरण पथ
  • लसिका परिसंचरण तंत्र
  • परिसंचरण तंत्र के कार्य
  • हृदय तरंग मापन इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम
  • परिसंचरण संबंधी अनियमिततायें एवं रोग

अध्याय 19. उत्सर्जी पदार्थ व उनका निष्कासन

  • उत्सर्जन का महत्व
  • प्राणियों में उत्सर्जी संरचनाएँ तथा अंग
  • उत्सर्जन के प्रकार
  • मानव उत्सर्जन संस्थान
  • दृक्क की आंतरिक संरचना
  • नेफ्रॉन्स की संरचना
  • मनुष्य में मूत्र निर्माण या उत्सर्जन की कार्यिकी
  • मूत्र निर्माण का नियमन
  • मूत्र की संरचना तथा प्रकृति
  • मूत्र का संगठन
  • मूत्रण
  • वृक्क के क्रियाशीलता का नियमन
  • अन्य उत्सर्जी अंग
  • वृक्क की अक्रियाशीलता
  • कृत्रिम वृक्क या डायलिसिस या हीमोडायलिसिस
  • वृक्क प्रत्यारोपण

अध्याय 20. प्रचलन और गति

  • प्राणियों में प्रचलन का महत्व
  • मनुष्य में प्रचलन तथा गति
  • मांसपेशियों की गतियाँ
  • कंकाली पेशियों की रचना
  • संकुचनशील प्रोटीन की संरचना
  • शारीरिक पेशियों के प्रकार
  • पेशीय गति की कार्यिकी क्रिया-विधि
  • कंकाल तंत्र
  • मानव कंकाल तंत्र
  • अंतः कंकाल तंत्र के कार्य
  • अस्थि
  • उपास्थि
  • संधियाँ या अस्थि संधियाँ
  • पेशीतंत्र के विकार
  • अस्थि, उपास्थि के विकार

अध्याय 21. तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय

  • तंत्रिका समन्वयन के घटक
  • मनुष्य का तंत्रिका तंत्र
  • तंत्रिका
  • तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन्स) की संरचनात्म एवं क्रियात्मक इकाई के रूप में
  • तंत्रिका कोशिकाओं के प्रकार
  • तंत्रिकीय ऊतक के कार्य
  • तंत्रिकीय आवेगों की उत्पत्ति एवं संचरण
  • तंत्रिका आवेगों का संचलन का सारांश
  • केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
  • केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के घटक
  • परिधीय तंत्रिका तंत्र
  • प्रतिवर्ती क्रिया की क्रिया-विधि
  • प्रतिवर्ती क्रिया का महत्व
  • मनुष्य के संवेदांग
  • प्रकाशग्राही संवेदांग या आँख
  • नेत्र के कार्यों की क्रिया विधि
  • नेत्र के विकार
  • श्रावणों-संतुलन संवेदांग: कर्ण
  • कर्ण की कार्य विधि
  • कान के प्रमुख विकार

अध्याय 22. रासायनिक, समन्वय तथा एकीकरण

  • हॉर्मोन के गुण
  • हॉर्मोन्स के कार्य
  • ग्रंथियों के प्रकार
  • मनुष्य तथा अन्य स्तनियों के अंतःस्रावी ग्रंथियाँ एवं हॉर्मोन
  • अंतःस्रावी ग्रंथियों के प्रकार
  • हाइपोथैलेमस
  • हाइपोफाइसिस
  • पीयूष ग्रंथि या पिट्यूटरी ग्रंथि
  • वायमस ग्रंथि
  • पिनियल ग्रंथि
  • थायरॉइड ग्रंथि
  • थायरोक्सिन अनियमिततायें एवं परिणामी रोग
  • थायरॉइड ग्रंथि का नियंत्रण
  • पैराथायरॉइड या परावट ग्रंथियाँ
  • पैराथॉर्मोन अनियमिततायें
  • एड्रीनल या अधिवृक्क ग्रंथि
  • अधिवृक्क ग्रंथि की अनियमिततायें
  • अग्नाशय
  • अग्नाशय के हॉर्मोन
  • असामान्य क्रियाशीलता
  • जनद
  • प्लैसेन्टा अथवा अपरा या ऑवल
  • वृक्क अर्थात् किडनी
  • आहारनाल की श्लेष्मा ग्रंथियाँ
  • त्वचा
  • हॉर्मोन की भूमिका एवं महत्व
  • हॉर्मोन्स के स्राव का पुनर्निवेश-नियंत्रण
  • तंत्रिकीय-अंतःस्रावी नियमन
  • हॉर्मोन्स की क्रिया-विधि