जीवों के प्रमुख लक्षण:
- निश्चित आकार और आमाप: प्रत्येक जीव का एक निश्चित आकार और रूप होता है, जिसके आधार पर उसे पहचान सकते हैं। यह जीवों के भेदभाव में मदद करता है।
- कोशिकीय संगठन (Cellular Organization): सभी जीवों का शरीर कोशिकाओं से बना होता है, जिसमें जीवन के लिए आवश्यक जीवद्रव्य पाया जाता है।
- पोषण (Nutrition): सभी जीवों को पोषण की आवश्यकता होती है। हरे पौधे स्वयं अपना भोजन बनाते हैं, जबकि जानवर पौधों या अन्य जानवरों से भोजन प्राप्त करते हैं।
- वृद्धि और विकास (Growth and Development): सभी जीवों में वृद्धि और विकास होता है। यह प्रक्रिया जीवन के विभिन्न चरणों में आकार और रूप में परिवर्तन का कारण बनती है।
- उपापचय (Metabolism): शरीर में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का योग उपापचय कहलाता है, जो जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा का निर्माण करता है।
- उत्तेजनशीलता या संवेदनशीलता (Irritability or Sensitivity): जीवों में बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता होती है, जैसे पौधों का सूर्य की ओर बढ़ना या छुई-मुई की पत्तियों का सिकुड़ना।
- जीवद्रव्य (Protoplasm): कोशिकाओं में पाया जाने वाला यह तत्व जीवन का भौतिक आधार है, जो सभी जीवों के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
- श्वसन (Respiration): सभी जीवों को ऊर्जा की प्राप्ति के लिए श्वसन की आवश्यकता होती है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, और वसा का ऑक्सीकरण होता है।
- उत्सर्जन (Excretion): शरीर में बनने वाले वर्ज्य पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया, जो उपापचय के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
- प्रजनन (Reproduction): सभी जीवों में अपनी समान सन्ततियाँ उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जिससे जाति का अस्तित्व बना रहता है।
- अनुकूलन (Adaptation): यह जीवों की वह क्षमता है जिसके द्वारा वे पर्यावरण में बदलाव के अनुरूप अपने शरीर को अनुकूलित करते हैं।
- गति और प्रचलन (Movement and Locomotion): जीवों में गति के लिए विशेष अंग होते हैं, जैसे कशाभिका, पंख, पैर, आदि, जो उन्हें स्थानांतरित करने में मदद करते हैं।
जीवन चक्र (Life Cycle):
जीवन चक्र उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें जीव जन्म से लेकर मृत्यु तक के विभिन्न जीवनकाल की अवस्थाओं से गुजरते हैं। इसमें प्रजनन, विकास, वृद्धि, और मृत्युपर्यंत सभी चरण शामिल होते हैं।
जीवों का जीवन चक्र प्रजनन के तरीके, जैसे कि लैंगिक या अलैंगिक, और उनकी संरचनाओं के अनुसार भिन्न हो सकता है। यह चक्र जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करता है, जैसे- विकास, रूपांतरण, और अंत में मृत्यु।
मृत्यु (Death): सभी जीवों का जीवन काल सीमित होता है, और मृत्यु जीवन चक्र का एक अवशिष्ट भाग होती है। मृत्यु के बाद जीव का शरीर अपघटन की प्रक्रिया से गुजरता है, जो पुनः पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करता है।