सजीवों के लक्षण एवं वर्गीकरण कक्षा 6 विज्ञान

हमने सीखा (We have learnt) – निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर जन्तुओं के उदाहरण: उचित संबंध जोड़िए: पौधों के उदाहरण: पौधों का महत्व (Importance of Plants): जन्तुओं का महत्व (Importance of Animals): 1. सजीव और निर्जीव में वर्गीकरण सजीव:मनुष्य, मोर, कछुआ, नेवला, पौधा, आम, पपीता, चना निर्जीव:घर, वायु, पानी, बादल, मिट्टी, कुआँ, नल, मोटर, साइकिल, …

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तरह-तरह के घर कक्षा 4 पर्यावरण अध्ययन अध्याय 25

तरह-तरह के घर कक्षा 4 पर्यावरण अध्ययन अध्याय 25 मौखिक लिखित कोष्टक में दिए गए शब्दों को छाँट कर खाली स्थान पूर्ण करो: (मेघालय, फ्लैट्स, कीचड़, सीमित, बर्फ की सिल्लियों, पानी) (i) शहरों में जगह सीमित होती है, वहाँ लोग बहुमंजिल इमारतों के फ्लैट्स में रहते हैं।(ii) ‘इग्लू’ बर्फ की सिल्लियों से बनाए जाते हैं।(iii) …

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नक्शा और मापें कक्षा 4 पर्यावरण अध्ययन अध्याय 25

नक्शा और मापें कक्षा 4 पर्यावरण अध्ययन अध्याय 25 1. एक कदम माप के लिए टिल्लू और मुन्नी ने कितनी तीली का उपयोग किया?उत्तर: टिल्लू और मुन्नी ने एक कदम के लिए एक तीली का उपयोग किया। यानी, एक कदम जितना लंबा था, उसी लंबाई की एक तीली उन्होंने मापने के लिए इस्तेमाल की। 2. …

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संघ-निमैवेल्मिन्थीस या निमैटोडा (PHYLUM-NEMATHELMINTHES OR NEMATODA)

संघ – निमैटोडा (Phylum – Nematoda) स्थापना:इस संघ की स्थापना गेगेनबौर (Ciegenbaur, 1550) ने की थी। इसमें लगभग 15,000 प्रजातियाँ ज्ञात हैं। निमैटोडा का अर्थ है सूत्रकृमि या गोलकृमि (Gr. Nema – Thread, Helmins – Worms)। प्रमुख लक्षण (Important Characters) वर्गीकरण (Classification) इस संघ को दो वर्गों में बाँटा गया है: महत्वपूर्ण उदाहरण (Important Examples) …

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संघ सीलेन्ट्रेटा के सामान्य लक्षण (General Characters)

संघ सीलेन्ट्रेटा (Coelenterata), जिसे निडेरिया (Nidaria) भी कहा जाता है, में ऐसे आद्य बहुकोशिकीय जीव शामिल हैं जो स्पंजों से अधिक विकसित होते हैं। इन जीवों के शरीर में सीलेन्ट्रॉन नामक एक केंद्रीय गुहा होती है, जो भोजन के पाचन और संवहन में सहायता करती है। इनका शारीरिक संगठन ऊतक स्तर (Tissue level) का होता …

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जन्तु-जगत (Animalia) से परिचय

यह जानकारी जीव विज्ञान की नींव को समझने के लिए बहुत उपयोगी है और छात्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। जन्तु-जगत (Animalia) से परिचय व्हीटेकर की पाँच-जगत प्रणाली: 1973 में व्हीटेकर द्वारा प्रस्तावित इस प्रणाली में जन्तु-जगत को पाँचवाँ जगत माना गया। यह सभी यूकैरियोटिक, बहुकोशिकीय, विषमपोषी, और कोशिका भित्ति रहित जीवों का …

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पारिस्थिति तंत्र में कार्बन चक्र (Carbon Cycle)

कार्बन चक्र (Carbon Cycle):कार्बन चक्र एक प्राकृतिक चक्र है, जो वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जैवमंडल में कार्बन के प्रवाह को नियंत्रित करता है। कार्बन चक्र की प्रमुख विशेषताएँ: कार्बन चक्र का चित्रात्मक वर्णन: चित्र विवरण: कार्बन चक्र का वर्णन चित्र 5.6 कार्बन चक्र को दर्शाता है, जो पृथ्वी पर कार्बन तत्व के निरंतर संचरण की …

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पारिस्थितिक तंत्र के घटक

पारिस्थितिक तंत्र के घटकों की व्याख्या कीजिए। पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) जीवों और उनके भौतिक पर्यावरण के बीच परस्पर क्रियाओं का एक समग्र तंत्र है। इसमें सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर संतुलन बनाए रखते हैं। पारिस्थितिक तंत्र के घटक 1. जैविक घटक (Biotic Components):इनमें सभी सजीव तत्व शामिल हैं। 2. अजैविक घटक (Abiotic Components):इनमें पारिस्थितिक …

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श्वसन संबंधी विकार या अनियमितताएँ

श्वसन संबंधी विकार या अनियमितताएँ (Respiratory Disorders or Irregularities) श्वसन के माध्यम से हम ऑक्सीजन की प्राप्ति के लिए वायुमंडलीय वायु को अंतर्ग्रहित करते हैं। वायु के साथ अनेक प्रकार के रोगाणु या रोगकारक पदार्थ भी श्वसन अंगों में प्रवेश कर जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं का कारण बनते हैं। इन समस्याओं …

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