पाठ में आये कठिन शब्दों के अर्थ
- रियासत – राज्य, प्रदेश
- दीवान – मंत्री, उच्च प्रशासनिक अधिकारी
- परमात्मा – ईश्वर, भगवान
- विनय – प्रार्थना, निवेदन
- दीनबंधु – गरीबों का मित्र, राजा को संबोधित करने का आदरसूचक शब्द
- अवस्था – उम्र, स्थिति
- राज-काज – शासन का कार्य, प्रशासन
- भूल-चूक – गलती
- नेकनामी – अच्छी प्रतिष्ठा, सम्मान
- नीतिकुशल – नीति में निपुण
- आदर – सम्मान
- प्रार्थना – निवेदन, विनती
- स्वीकार – मान लेना
- शर्त – नियम
- खोजना – ढूँढना
- प्रसिद्ध – मशहूर, ख्याति प्राप्त
- विज्ञापन – सूचना, घोषणा
- सुयोग्य – योग्य, उपयुक्त
- सज्जन – भले, अच्छे आचरण वाले व्यक्ति
- योग्य – काबिल, उपयुक्त
- वर्तमान – अभी का समय
- सरकार – शासक, प्रशासन
- सेवा में उपस्थित हों – सामने आएं, हाजिर हों
- अनिवार्य – ज़रूरी, आवश्यक
- ग्रेजुएट – स्नातक
- हृष्ट-पुष्ट – स्वस्थ, बलवान
- मंदाग्नि – कमजोर पाचन शक्ति, अपच रोग
- कष्ट – तकलीफ़, कठिनाई
- रहन-सहन – जीवनशैली, दिनचर्या
- आचार-विचार – व्यवहार और सोच
- निरीक्षण – देखभाल, परख
- कर्तव्य – दायित्व, जिम्मेदारी
- उच्च पद – बड़ा ओहदा, ऊँचा स्थान
- सुशोभित होंगे – शोभा बढ़ाएंगे, सम्मान पाएंगे
- मुल्क – देश
- तहलका मचा देना – हलचल पैदा करना, सनसनी फैलाना
- कैद – बंधन
- नसीब का खेल – भाग्य पर निर्भर होने वाली बात
- भाग्य परखना – किस्मत आज़माना
- रंग-बिरंगे मनुष्य – अलग-अलग प्रकार के लोग
- रेलगाड़ी से उम्मीदवारों का मेला उतरना – बड़ी संख्या में लोगों का आना
- नए फैशन का प्रेमी – आधुनिकता को पसंद करने वाला व्यक्ति
- पुरानी सादगी पर मिटा हुआ – पुराने रीति-रिवाजों और सरल जीवनशैली को पसंद करने वाला
- एमामे – पगड़ी या सिर पर बाँधा जाने वाला वस्त्र
- चोगा – ढीला-ढाला परिधान
- अंगरखा – एक पारंपरिक परिधान
- कंटोप – विशेष प्रकार की टोपी
- सनद – डिग्री या प्रमाणपत्र
- परदा ढकना – किसी कमी या बात को छिपाना
- महानुभाव – सम्माननीय व्यक्ति, प्रतिष्ठित लोग
- आदर-सत्कार – सम्मानपूर्वक सेवा, स्वागत
- प्रबंध – व्यवस्था, आयोजन
- ऊषा का दर्शन – सुबह-सुबह सूर्योदय देखना
- नाक में दम करना – बहुत परेशान करना
- जनाब – सम्मानसूचक शब्द, आदर से बुलाने का तरीका
- घृणा – नफरत
- नम्रता – विनम्रता, शिष्टाचार
- सदाचार – अच्छे आचरण, नैतिकता
- झंझट – परेशानी, कठिनाई
- कार्य सिद्ध होना – उद्देश्य की पूर्ति होना, मनचाही चीज़ मिलना
- बगुलों में हंस – ढोंगियों के बीच असली गुणी व्यक्ति
- बूढ़ा जौहरी – अनुभवी व्यक्ति जो असली और नकली में फर्क कर सके
- नए फैशनवाले – आधुनिक जीवनशैली अपनाने वाले लोग
- सूझी – विचार आया
- हॉकी के मँजे हुए खिलाड़ी – अनुभवी और निपुण हॉकी खिलाड़ी
- विद्या – ज्ञान, कला या हुनर
- हाथों की सफाई – कुशलता, चतुराई, चालाकी
- फील्ड – मैदान, खेल का स्थान
- दफ्तर के अप्रेंटिस – कार्यालय में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाला व्यक्ति
- ठोकरें खाना – मुश्किलों का सामना करना
- भलेमानस – सज्जन, सम्माननीय लोग
- गंभीर खेल – ध्यान और रणनीति से खेले जाने वाले खेल (जैसे शतरंज, ताश)
- दौड़-कूद के खेल – शारीरिक श्रम से जुड़े खेल
- बिल्कुल निराली बात – एकदम नया और अनोखा अनुभव
- उत्साह – उमंग
- धावे के लोग – आक्रमण करने वाले खिलाड़ी (जो गेंद को लेकर आगे बढ़ते हैं)।
- लोहे की दीवार – बहुत मजबूत और अडिग प्रतिरोध
- संध्या – शाम, दिन का अंतिम भाग।
- धूमधाम – उत्साह और जोश भरा माहौल।
- खून की गरमी – जोश, उत्साह और ऊर्जा।
- हाँफते-हाँफते बेदम हो गए – बहुत थक जाना, सांस फूल जाना।
- निर्णय – फैसला
- पथिकों – यात्रियों, राहगीरों।
- ललकारता – ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ देकर हिम्मत बंधाना।
- झुंझलाकर – गुस्से और हताशा में आकर।
- निराश होकर ताकता – हताश होकर चारों ओर देखना, किसी मदद की उम्मीद करना।
- सहमी हुई आँखों से – डर और घबराहट से भरी दृष्टि।
- सहानुभूति – दया, हमदर्दी।
- स्वार्थ – केवल अपने लाभ की चिंता।
- मद – अहंकार, घमंड।
- उदारता – दूसरों की मदद करने की भावना।
- वात्सल्य – स्नेह, दया और प्रेम।
- अकस्मात – अचानक, सहसा।
- ठिठक गया – अचानक रुक गया, चलते-चलते ठहर जाना।
- सूरत – चेहरा, हाव-भाव।
- ज्ञात हो गई – समझ में आ गई, पता चल गया।
- गठे हुए बदन का – मजबूत और ताकतवर शरीर वाला।
- झुककर बोला – आदर और विनम्रता से बोला।
- साधो – संभालो, काबू में रखो।
- उकसाया – ज़ोर लगाकर आगे बढ़ाया।
- हिम्मत न हारी – हार नहीं मानी, साहस बनाए रखा।
- ललकारा – ऊँची आवाज़ में प्रेरित किया, पुकारा।
- हाथ जोड़कर – आदर या कृतज्ञता प्रकट करने की मुद्रा।
- उबार लिया – बचा लिया, कठिनाई से निकाल दिया।
- गंभीर भाव से – गहरी सोच से।
- गौर से देखा – ध्यानपूर्वक देखा।
- संदेह हुआ – शक हुआ।
- चेहरा-मोहरा – शक्ल-सूरत, हाव-भाव।
- तीव्र दृष्टि से – पैनी नजर से, गहराई से देखना।
- भाँप गया – समझ गया, स्थिति को महसूस कर लेना।
- गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है – कठिनाइयों का सामना करने से ही सफलता मिलती है।
- निदान – अंत में, आखिरकार।
- प्रातःकाल – सुबह का समय, भोर।
- किस्मतों का फैसला – भाग्य का निर्णय, नसीब का निर्णय।
- दिन काटना पहाड़ हो गया – समय बहुत कठिनाई से बीतना, बेचैनी महसूस होना।
- आशा और निराशा के रंग आना – उम्मीद और हताशा का अनुभव होना।
- लक्ष्मी की कृपादृष्टि – धन और सौभाग्य की देवी की कृपा, भाग्य का साथ देना।
- रईस – अमीर, धनवान व्यक्ति।
- धनाढ्य – अत्यधिक धनी व्यक्ति।
- राज्य के कर्मचारी – शासन में कार्य करने वाले अधिकारी।
- दरबारी – राजा के दरबार से जुड़े हुए व्यक्ति।
- सज-धज – भव्य पोशाक और आभूषण पहनकर तैयार होना।
- कलेजे धड़कना – घबराहट और बेचैनी होना, तनाव महसूस करना।
- उम्मीदवार – प्रत्याशी, जो किसी पद के लिए आवेदन करता है।
- कष्ट – पीड़ा, परेशानी, कठिनाई।
- क्षमा – माफ़ी, दोषमुक्त करना।
- आवश्यकता – ज़रूरत
- हृदय – मन, दिल।
- उदार – दयालु, परोपकारी।
- आत्मबल – आत्मविश्वास, स्वयं की शक्ति।
- आपत्ति – कठिनाई, समस्या, संकट।
- वीरता – बहादुरी, साहस।
- सौभाग्य – अच्छा भाग्य, सफलता।
- गुणवाले – जिनमें अच्छे गुण हों, श्रेष्ठ व्यक्ति।
- कीर्ति – यश, प्रसिद्धि।
- मान – सम्मान, प्रतिष्ठा।
- शिखर – चोटी, उच्च स्थान।
- बधाई – शुभकामना, बधाई देना।
- कर्मचारी – नौकर, अधीनस्थ कार्यकर्ता।
- सत्कार – सम्मान, आदर।
- ईर्ष्या – जलन, द्वेष।
- फरमाया – कहा, आदेश दिया (सम्मानसूचक शब्द)।
- स्वीकार – मान लेना।
- आपत्ति – विरोध, असहमति।
- पुरुष – व्यक्ति, मनुष्य।
- जख्मी – घायल, चोटिल।
- दलदल – कीचड़, गीली मिट्टी, जहाँ चलना कठिन हो।
- साहस – हिम्मत, वीरता।
- वास – निवास, रहना।
- संकल्प – दृढ़ निश्चय, ठानना।
- चित्त – मन, हृदय।
- स्थिर – अटल, शांत, अडिग।
- धोखा – छल, कपट।
- दया – करुणा, सहानुभूति।
- धर्म – कर्तव्य, नैतिकता।
पाठ से
मेरी समझ से
(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए ।
(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा ?
- उदारता
- सादगी
- बल
- नीति कुशलता
उत्तर
नीति कुशलता (★)
(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?
- परमात्मा की याद
- राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
- बदनामी का भय
- चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना
उत्तर
परमात्मा की याद (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर
छात्र स्वयं करें।
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।
उत्तर
चूँकि प्रेमचंद द्वारा लिखित ‘परीक्षा’ शीर्षक कहानी का केंद्रीय भाव एक रियासत के दीवान के पद हेतु हर दृष्टि से योग्य, उदार, दयालु तथा नीतिकुशल व्यक्ति का चयन है, अतएव इन्हीं कारणों से प्रेमचंद ने इस कहानी का शीर्षक ‘परीक्षा’ रखा होगा।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?
उत्तर
यद्यपि इस कहानी का प्रेमचंद द्वारा दिया गया शीर्षक ‘परीक्षा’ सर्वथा उपयुक्त है, तथापि यदि मुझे इस कहानी का कोई अन्य नाम देना होता तो मैं इसका शीर्षक ‘परख’ देता। इसका कारण यह है कि सुजानसिंह ने एक जौहरी के रूप में दया, आत्मबल तथा नीतिकुशलता को धारण करने वाले एक व्यक्ति की परख की।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया अपने विचार ? अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल । हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं ।”
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-
(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए?
उत्तर
नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के प्रयत्न किए। मिस्टर ‘अ’ जो नौ बजे दिन तक सोया करते थे, प्रातः काल में टहलने का उपक्रमक करने लगे। मिस्टर ‘द’, ‘स’ और ‘ज’ से उनके घर के नौकर परेशान रहते थे, किंतु अब वे नौकरों से ‘आप’ और ‘जनाब’ संबोधन के साथ बातचीत कर रहे थे। मिस्टर ‘ल’ को किताब से घृणा थी, किंतु वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने में मशगूल थे। हर कोई अपने तरीके से स्वयं को योग्य सिद्ध करने की कोशिश कर रहा था।
(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गईं?
उत्तर
खिलाड़ी की निगाह किसान की गाड़ी पर पड़ी, जो नाले में फँसी हुई थी। उसे किसान की सूरत देखते ही इस बात का अंदाज़ा हो गया कि बहुत प्रयास करने के बाद भी गाड़ी को नाले के कीचड़ और गड्ढे से नहीं निकाल पाया है।
(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।’ किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?
उत्तर
जब सरदार सुजानसिंह ने राजदरबार में दीवान के पद पर जानकीनाथ के चयन की घोषण की, तो रियासत के कर्मचारियों और रईसों ने जानकीनाथ की तरफ़ देखा। उन आँखों में जानकीनाथ के प्रति आदर और सत्कार का भाव था। इसके ठीक विपरीत, दीवान के पद की प्राप्ति हेतु पधारे अन्य उम्मीदवारों की आँखों में जानकीनाथ के प्रति ईर्ष्या का भाव था ।
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए, जिनसे पता चलता है कि-
(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।
उत्तर
युवक ने किसान की तरफ़ गौर से देखा। उसके मन में एक संदेह उत्पन्न हुआ, कहीं ये सुजान सिंह तो नहीं हैं ? आवाज़ मिलती है, चेहरा मोहरा भी वही है।
(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।
उत्तर
जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम होता था। लोग समझते थे कि एक महीने का झंझट है, किसी तरह काट लें, कहीं कार्य सिद्ध हो गया तो बाद में कौन पूछता है ?
कहानी की रचना
“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।”
इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए ।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
समस्या और समाधान
इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उनके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –
(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर
महाराज के दीवान सुजानसिंह अपनी उम्र और परमात्मा की याद के कारण अपना पद छोड़ना चाहते थे। सुजानसिंह जैसे अनुभवी एवं नीतिकुशल दीवान को राजा छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्होंने उन्हें बहुत समझाया, किंतु वे नहीं माने। अंततः उन्होंने दीवान की बात मान ली, लेकिन शर्त यह लगा दी कि नया दीवान सुजानसिंह को ही खोजना होगा।
(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर
दीवान जी के समक्ष योग्य उम्मीदवार के चयन की समस्या थी। इसके लिए उन्होंने समाचार-पत्र में विज्ञ. ापन प्रकाशित कराए, जिसमें उक्त पद हेतु आवश्यक योग्यता का उल्लेख था। उम्मीदवारों के क्रियाकलापों का गुप्त रूप से आकलन कर उन्होंनें योग्य उम्मीदवार के चयन को अंजाम दिया।
(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी ? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?
उत्तर
नौकरी के लिए आए लोगों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या थी – नीति कुशलता, ईमानदारी, आत्मबल और दयालुता के मापदंड पर खरा उतरने की । अधिकांश उम्मीदवार इस मापदंड को पूरा नहीं करते थे। किंतु उन्होंने सीमित समय के लिए छद्म सद्व्यवहार को अपनाना प्रारंभ कर दिया, ताकि उनका चयन दीवान के पद के लिए हो जाए ।
मन के भाव
“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।”
इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।
उत्तर
अभिनय
कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन दोनों ने ये बातें कैसे बोलीं। अपने समूह के साथ मिलकर तैयारी कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए । प्रत्येक समूह से अभिनेता या अभिनेत्री कक्षा में सामने आएँगे और एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
विपरीतार्थक शब्द
“विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।”
‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’ । इसी प्रकार कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. आना | 1. निर्दयी |
2. गुण | 2. निराशा |
3. आदर | 3. जीत |
4. स्वस्थ | 4. अवगुण |
5. कम | 5. अस्वस्थ |
6. दयालु | 6. अधिक |
7. योग्य | 7. जाना |
8. हार | 8. अयोग्य |
9. आशा | 9. अनादर |
उत्तर
स्तंभ 1 | स्तंभ 2 |
1. आना | 7. जाना |
2. गुण | 4. अवगुण |
3. आदर | 9. अनादर |
4. स्वस्थ | 5. अस्वस्थ |
5. कम | 6. अधिक |
6. दयालु | 1. निर्दयी |
7. योग्य | 8. अयोग्य |
8. हार | 3. जीत |
9. आशा | 2. निराशा |
कहावत
“गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है।”
यह वाक्य एक कहावत है। इसका अर्थ है कि कोशिश करने पर ही सफलता मिलती है। ऐसी ही एक और कहावत है,“जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ” अर्थात परिश्रम का फल अवश्य मिलता है।
कहावतें ऐसे वाक्य होते हैं जिन्हें लोग अपनी बात को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रयोग करते हैं। आपके घर और पास-पड़ोस में भी लोग अनेक कहावतों का उपयोग करते होंगे।
नीचे कुछ कहावतें और उनके भावार्थ दिए गए हैं। आप इन कहावतों को कहानी से जोड़कर अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए—
- अधजल गगरी छलकत जाए— जिसके पास थोड़ा ज्ञान होता है, वह उसका दिखावा करता है।
- अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत— समय निकल जाने के बाद पछताना व्यर्थ होता है।
- एक अनार सौ बीमार— कोई ऐसी एक चीज़ जिसको चाहने वाले अनेक हों।
- जो गरजते हैं वे बरसते नहीं हैं— जो अधिक बढ़-चढ़कर बोलते हैं, वे काम नहीं करते हैं।
- जहाँ चाह, वहाँ राह— जब किसी काम को करने की इच्छा होती है, तो उसका साधन भी मिल जाता है।
(संकेत – विज्ञापन में तो एक नौकरी की बात कही गई थी, लेकिन उम्मीदवार आ गए हज़ारों। इसे कहते हैं, एक अनार सौ बीमार)
पाठ से आगे
अनुमान या कल्पना से
(क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला” देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर
देवगढ़ के राजा ने सरदार सुजानसिंह को नए दीवान के चयन की ज़िम्मेदारी दी थी। हर दृष्टि से सुयोग्य उम्मीदवार की नियुक्ति हेतु दीवान सुजानसिंह ने ही यह विज्ञापन निकलवाया होगा ।
इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता से अधिक नीतिशीलता, दयालुता और आत्मबल से युक्त उम्मीदवार की आवश्यकता थी। संभवत: इसलिए ही इस पद के लिए आवश्यक शर्तों का उल्लेख करते हुए विज्ञापन निकलवाया गया होगा, ताकि इन मापदंडों को पूरा करने वाले ही आवेदन कर सकें।
(ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।”
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?
उत्तर
दीवान का पद ओहदे की दृष्टि से काफ़ी बड़ा और महत्वपूर्ण था। पैसे के साथ-साथ इसमें रसूख और रुतबा भी था। इस पद के लिए कोई विशिष्ट शैक्षणिक योग्यता की भी दरकार नहीं थी। इसलिए इस पद का विज्ञापन निकलते ही पूरे देश में तहलका मच गया।
विज्ञापन
“ दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की जरूरत है।’
(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़िए। इसके बाद अपने समूह में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाइए ।
(संकेत- विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज़ पर हाशिया बनाइए। इसके बाद इस हाशिए के भीतर के खाली स्थान पर सुंदर लिखाई, चित्रों, रंगों आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी लिख दीजिए। आप बिना रंगों या चित्रों के भी विज्ञापन बना सकते हैं ।)
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) आपने भी अपने आस-पास दीवारों पर, समाचार- – पत्रों या पत्रिकाओं में, मोबाइल फोन या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद कीजिए। आपको वह अच्छा क्यों लगता है? सोचकर अपने समूह में बताइए | अपने समूह के बिंदुओं को लिख लीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ग) विज्ञापनों से लाभ होते हैं, हानि होती हैं, या दोनों? अपने समूह में चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु लिखकर कक्षा में साझा कीजिए ।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
आगे की कहानी
‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए ।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
आपकी बात
(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ?
उत्तर
यदि दीवान साहब के स्थान पर मैं होता, तो योग्य व्यक्ति के चयन हेतु सैद्धांतिक तथा व्यावहारिक ज्ञान का परीक्षण करता । सैद्धांतिक ज्ञान के अंतर्गत उम्मीदवार की देश, दुनिया, समाज, व्यक्ति और विभिन्न परिस्थितियों की समझ का मूल्यांकन करता, तो व्यावहारिक क्रियाकलापों के सूक्ष्म एवं सतत निरीक्षण से उसके मानवीय गुण-अवगुण का पता लगाता। इन्हीं मापदंडों के आधार पर मैं योग्य उम्मीदवार का चयन करता ।
(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या – क्या करेंगे?
उत्तर
यदि मुझे कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाएगा तो मैं ऐसे लड़के को चुनूँगा जो शैक्षणिक दृष्टिकोण से होनहार होने के साथ-साथ सामंजस्यपूर्ण व्यवहार करने वाला, अनुशासनप्रिय, नेक तथा ईमानदार हो। इसके लिए मैं उसके विद्यालय में उपस्थिति का रिकॉर्ड देखूँगा तथा छात्रों और शिक्षकों के बीच उसके प्रति अवधारणा का भी मूल्यांकन करूँगा।
नया-पुराना
इन्हीं बिंदुओं के आधार पर मैं अपनी कक्षा के मॉनिटर का चुनाव करूँगा।
‘कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ ।’ हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं, जिन्हें लोग नया फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं। जो वस्तु आपके माता-पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो, या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो । अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए-
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
वाद–विवाद
आपस में हॉकी का खेल हो जाए। यह भी तो आखिर एक विद्या है।
क्या हॉकी जैसा खेल भी विद्या है? इस विषय पर कक्षा में एक वाद-विवाद गतिविधि का आयोजन कीजिए। इसे आयोजित करने के लिए कुछ सुझाव आगे दिए गए हैं-
- कक्षा में पहले कुछ समूह बनाएँ। फिर पर्ची निकालकर निर्धारित कर लीजिए कि कौन समूह पक्ष में बोलेंगा, कौन विपक्ष में ।
- आधे समूह इसके पक्ष में तर्क दीजिए. आधे समूह इसके विपक्ष में ।
- सभी समूहों को बोलने के लिए 5-5 मिनट का समय दिया जाएगा।
- ध्यान रखें कि प्रत्येक समूह का प्रत्येक सदस्य चर्चा करने, तर्क देने आदि कार्यों में भाग अवश्य ले ।
अच्छाई और दिखावा
हर एक मनुष्य अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की कोशिश करता था।
अपने समूह में निम्नलिखित पर चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु अपनी लेखन – पुस्तिका में लिख लीजिए-
(क) हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार स्वयं को अच्छा दिखाने की कोशिश करता है। स्वयं को अच्छा दिखाने के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?
(संकेत- मेहनत करना, कसरत करना, साफ-सुथरे रहना आदि)
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) क्या ‘स्वयं को अच्छा दिखाने’ में और ‘स्वयं के अच्छा होने में कोई अंतर है? कैसे ?
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
परिधान तरह-तरह के
“कोट उतार डाला”
‘कोट’ एक परिधान का नाम है। कुछ अन्य परिधानों के नाम और चित्र नीचे दिए गए हैं। परिधानों के नामों को इनके सही चित्र के साथ मिलाइए। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? लिखिए
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
आपकी परीक्षाएँ
हम सभी अपने जीवन में अनेक प्रकार की परीक्षाएँ लेते और देते हैं। आप अपने अनुभवों के आधार पर कुछ परीक्षाओं के उदाहरण बताइए। यह भी बताइए कि किसने, कब, कैसे और क्यों वह परीक्षा ली।
(संकेत— जैसे, किसी को विश्वास दिलाने के लिए उसके सामने साइकिल चलाकर दिखाना, स्कूल या घर पर कोई परीक्षा देना, किसी को किसी काम की चुनौती देना आदि।)
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
आज की पहेली
आज आपकी एक रोचक परीक्षा है। यहाँ दिए गए चित्र एक जैसे हैं या भिन्न? इन चित्रों में कुछ अंतर हैं। देखते हैं आप कितने अंतर कितनी जल्दी खोज पाते हैं।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
झरोखे से
पाठ में दिए गए क्यू.आर. कोड के माध्यम से आप एक और कहानी पढ़ेंगे। इस कहानी में भी कोई किसी की परीक्षा ले रहा है। यह कहानी हमारे देश के बहुत होनहार बालक और उसके गुरु चाणक्य के बारे में है। इसे हिंदी के प्रसिद्ध लेखक जयशंकर प्रसाद ने लिखा है।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।
खोजबीन के लिए
पुस्तक में दिए गए क्यू. आर. कोड की सहायता से आप प्रेमचंद के बारे में और जान-समझ सकते हैं, साथ ही उनकी अन्य कहानियों का आनंद भी उठा सकते हैं.—
- ईदगाह
- नादान दोस्त
- दो बैलों की कथा