देहगुहा (Coelom) और इसके प्रकार

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देहगुहा का परिभाषा:
देहगुहा, जिसे सीलोम भी कहा जाता है, आहारनाल और दैहिक भित्ति (Body wall) के बीच स्थित एक द्रव से भरी हुई गुहा होती है। यह मीजोडर्मल एपिथीलियम (Mesodermal epithelium) द्वारा ढकी रहती है और यह स्थान शरीर के विभिन्न आंतरिक अंगों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है। देहगुहा का विकास भ्रूण के मीजोडर्म से होता है, जो इसके दो भागों में विभाजित होने के कारण होता है। यह मुख्य रूप से उन जीवों में पाया जाता है जिनमें नलिका अन्दर नलिका योजना (Coelomic cavity structure) होती है।

देहगुहा के कार्य (Functions of Coelom):

  1. लचीलापन प्रदान करना: देहगुहा शरीर को लचीलापन प्रदान करती है, जिससे शरीर के अंगों की गति आसान होती है।
  2. अंतर अंगों के लिए सुरक्षा: देहगुहा अंगों को बाह्य आघातों से सुरक्षा प्रदान करती है।
  3. समान स्थान पर अंगों को बनाए रखना: देहगुहीय द्रव शरीर के अंगों को सही स्थान पर बनाए रखता है।
  4. आघातों से सुरक्षा: यह बाहरी आघातों से अंगों की सुरक्षा करती है।
  5. द्रवस्थैतिक कंकाल का कार्य: देहगुहा एक द्रवस्थैतिक कंकाल का कार्य करती है, जिससे शरीर में गति बनाए रखने में मदद मिलती है।
  6. अंतरंगों का संरचना: देहगुहा के कारण अंगों का उचित संगठन होता है, जिससे शरीर का संतुलन और कार्यप्रणाली सही रहती है।

देहगुहा के प्रकार (Types of Coelom):

  1. अदेहगुहीय (Acoelomate):
    • इस प्रकार के जीवों में देहगुहा का अभाव होता है। ये जीव अपनी पूरी शरीर संरचना के भीतर घनी कोशिकाओं से घिरे होते हैं।
    • उदाहरण: स्पंज (पोरीफर्स), सीलेन्ट्रेट्स (जैसे कि सीलेंट्रेट्स), और प्लैटीहेल्मिन्थीज (चपटे कृमि)।
  2. देहगुहीय (Coelomate):
    • उच्चवर्गीय जीवों में देहगुहा का विकास भ्रूणीय विकास के दौरान मीजोडर्म की कोशिकाओं के विभाजन से होता है। इस प्रकार के जीवों में देहगुहा में द्रव भरा होता है और अंग मीजोडर्म की बनी झिल्लियों (जैसे पेरीटोनियम) से निलंबित होते हैं।
    • उदाहरण: एनीलिड्स (जैसे कि पृथ्वी के कीड़े), इकाइनोडर्मेंट्स (जैसे कि स्टारफिश), और कार्डेट्स (जैसे कि मछलियाँ)।
  3. कूटदेहगुहीय (Pseudocoelomate):
    • इस प्रकार की देहगुहा का विकास भ्रूणीय गुहा (Blastocoel) से होता है। यह गुहा आहारनली की एक्टोडर्म और एण्डोडर्मल भित्तियों से घिरी होती है। इस प्रकार की देहगुहा में अंग स्वतंत्र रूप से रहते हैं और रिक्त स्थान मीजोडर्मल कोशिकाओं से भरे होते हैं।
    • उदाहरण: गोल कृमि (Round worms), रोटीफर्स (Rotifers)।

सारांश:
देहगुहा शरीर के अंगों के लिए संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण होती है। यह जीवों की शारीरिक लचीलापन, सुरक्षा, और अंगों का सही स्थान बनाए रखने में सहायक होती है। देहगुहा के विभिन्न प्रकार (अदेहगुहीय, देहगुहीय, और कूटदेहगुहीय) जीवों की विविधता और उनके शरीर संरचना की जटिलताओं को दर्शाते हैं।

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