डायटमों (Diatoms) – स्वर्ण शैवाल
डायटम, जो कि स्वर्ण शैवाल (Golden Algae) या डायटम (Diatoms) के नाम से भी जाने जाते हैं, एककोशिकीय और सूक्ष्मदर्शीय शैवाल होते हैं। इनकी संरचना और जीवन चक्र के बारे में विस्तार से जानकारी निम्नलिखित है।
आवास और स्वभाव (Habit and Habitat)
- डायटम प्रायः स्वच्छ और लवणीय जल में पाए जाते हैं।
- ये या तो स्वतंत्र रूप में तैरते रहते हैं या किसी सतह पर चिपके रहते हैं, जैसे कि तालाबों और झीलों की मिट्टी में।
- कुछ डायटम अन्य तन्तुमय शैवालों या पौधों पर भी पाए जाते हैं।
- ये जल में प्रायः प्लवक (Phytoplankton) के रूप में तैरते हैं, क्योंकि इनके शरीर में संचित वसा (Lipids) इनकी हल्केपन का कारण बनता है।
- समुद्र के जल में डायटम्स की संख्या लगभग 60% होती है, और ये समुद्री जंतुओं का आहार भी बनते हैं।
लक्षण (Characteristic Features)
- आकार और रूप: डायटम्स एककोशिकीय होते हैं, लेकिन कभी-कभी यह समूहों (Colony) में व्यवस्थित हो जाते हैं। इनके आकार में नाव, छड़, तर्क, गोल, बहुभुज, या अण्डाकार रूप होते हैं।
- कशाभिका: जब डायटम्स जीवन-चक्र में चल अवस्था में होते हैं, तब उनके शरीर में केवल एक ही कशाभिका होती है।
- वर्णक: इनके कोशिकाओं में पर्णहरिम (Chlorophyll) a, C, जैन्थोफिल, और फ्यूकोजन्थिन (Fucoxanthin) जैसे वर्णक पाए जाते हैं, जो इनका रंग पीला-भूरा, सुनहरा पीला या ओलिव ग्रीन (Olive Green) बनाते हैं।
- कोशिकाभित्ति (Cell Wall): डायटम्स की कोशिका भित्ति विशेष प्रकार की होती है। बाहरी स्तर सिलिकन (Silica) से बना होता है, जिससे यह कठोर और संरचनात्मक रूप से मजबूत होती है। इनकी कोशिकाभित्ति शेल या फ्रस्ट्यूल (Frustule) कहलाती है।
- कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm): डायटम्स में कोशिकाद्रव्य का केन्द्रक और लवक स्थित होते हैं। इनके केन्द्रक का स्थान और संरचना विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे पेन्नेल्स और सेण्ट्रल्स में।
- लवक (Plastids): लवक जो कोशिका में स्थित होते हैं, ये या तो बड़े और स्थिर होते हैं (पेन्नेल्स गण में), या छोटे और असंख्य होते हैं (सेण्ट्रल्स गण में)।
- कोशिकांग (Cell organelles): डायटम्स में कोशिका विभाजन के समय तर्क का निर्माण केन्द्रक के अन्दर होता है।
संरचना (Structure)
- कोशिकाभित्ति: डायटम्स की कोशिकाभित्ति दो भागों में विभाजित होती है—एपिथीका (Epithica) और हाइपोथीका (Hypotheca)। इन दोनों के बीच एक गर्डल (Girdle) नामक संरचना होती है, जहाँ दोनों भाग अतिव्याप्त होते हैं।
- रैफी (Raphe): पेन्नेल्स गण के डायटम्स की कोशिकाभित्ति में एक रैफी होती है, जो एक धारी के समान होती है। इसमें दो गोलाकार उभार होते हैं, जिन्हें केंद्रीय और ध्रुवीय उभार कहते हैं।
- कोशिकाद्रव्य: डायटम्स का कोशिकाद्रव्य केन्द्रक के चारों ओर स्थित होता है। पेन्नेल्स गण के डायटम्स में कोशिकाद्रव्य केंद्रक के पास निलम्बित रहते हैं, जबकि सेण्ट्रल्स गण के डायटम्स में यह परिधीय कोशिकाद्रव्य में होता है।
प्रजनन (Reproduction)
डायटमों में प्रजनन अलैंगिक और लैंगिक दोनों विधियों से होता है।
- अलैंगिक प्रजनन:
- डायटम्स प्रजनन के लिए कोशिका विभाजन का उपयोग करते हैं। विभाजन के बाद, कोशिकाएं छोटे आकार की हो जाती हैं, क्योंकि नई कोशिका भित्ति पुराने कपाट के अंदर स्रावित होती है। इसके कारण डायटम्स के आकार में धीरे-धीरे कमी आती है।
- लैंगिक प्रजनन:
- डायटम्स में लैंगिक प्रजनन के दौरान युग्मनज (Auxospore) बनता है, जो विकसित होकर पुराने बड़े आकार को पुनः प्राप्त करता है।
- पार्थिनोजेनेसिस (Parthenogenesis): कुछ डायटम्स में यह विधि भी पाई जाती है, जिसमें बिना युग्मनज के नया जीव बनता है और आकार में पुनः वृद्धि होती है।
आर्थिक महत्व
- प्लवक का आहार: डायटम्स समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा होते हैं और समुद्री जीवों के आहार का मुख्य स्रोत होते हैं।
- मृतका (Diatomaceous Earth): जब डायटम्स की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी सिलिकन युक्त कोशिका भित्तियां समुद्र की तली में जमा हो जाती हैं, जिन्हें डायटमी मृतका (Diatomaceous Earth) कहा जाता है। इसका उपयोग कृषि, निर्माण, और अन्य उद्योगों में किया जाता है।
इस प्रकार, डायटम्स का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है और इनके विभिन्न उपयोगों के कारण इनका आर्थिक महत्व भी अत्यधिक है।