सायनोजीवाणु – नीलहरित शैवाल (Cyanobacteria – Blue-green Algae)
परिचय
सायनोजीवाणु, जिन्हें नीलहरित शैवाल (Blue-green algae) भी कहा जाता है, एककोशिकीय (Unicellular) या बहुकोशिकीय एवं तन्तुवत् प्रकाश संश्लेषी ग्राम ऋणात्मक जीवाणु होते हैं। पहले इन्हें शैवालों के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन आधुनिक वैज्ञानिकों ने इन्हें प्रोकैरियोटिक कोशिका संरचना के आधार पर जगत-मोनेरा में स्थान दिया और इन्हें “सायनोजीवाणु” नामक श्रेणी में रखा।
प्राप्ति स्थान (Occurrence)
- ये तालाबों, पोखरों, नम भूमि, और धान के खेतों में स्वयंघोषी रूप में पाए जाते हैं।
- कुछ सायनोजीवाणु सहजीवी रूप में लाइकेन, एजोला, एन्थोसिरोस (ब्रायोफाइट) आदि के साथ पाए जाते हैं।
महत्वपूर्ण लक्षण (Characteristic Features)
- वर्तमान स्थान:
- ये जल और नम भूमि पर पाए जाते हैं।
- पोषण प्रकार:
- ये स्वयंपोषी (Autotrophic) होते हैं और इनमें क्लोरोफिल एवं c-फाइकोसायनिन (c-Phycocyanin) पाया जाता है।
- कोशिका संरचना:
- ये एककोशिकीय या बहुकोशिकीय, तन्तुवत्, और ग्राम ऋणात्मक (Gram-negative) होते हैं।
- इनकी कोशिका में प्रारंभिक प्रकार का केन्द्रक (Incipient nucleus) पाया जाता है, और कोशिकाओं के चारों ओर सेल्यूलोज की बनी कोशिका भित्ति होती है।
- कोशिकाओं का आवरण:
- कोशिकाओं के चारों ओर एक श्लेष्मिक आवरण पाया जाता है, जो म्यूकोपेप्टाइड्स और पेप्टीडोग्लाइकेन से बना होता है, जो सुरक्षा प्रदान करता है।
- प्रकाश संश्लेषण:
- इनकी कोशिकाओं में प्रकाश-संश्लेषी वर्णक (जैसे क्लोरोफिल और फाइकोबिलीन्स) पाए जाते हैं। ये वर्णक प्रकाश संश्लेषी लैमिली (Photosynthetic lamellae) में पाई जाती हैं।
- इनका रंग नीला-हरा होता है, जो मुख्यतः c-फाइकोसायनिन और c-फाइकोइरीथ्रिन की उपस्थिति के कारण होता है।
- गैस रिक्तिकाएँ:
- इनमें गैस रिक्तिकाएँ (Gas vacuoles) या आभासी रिक्तिकाएँ (Pseudo-vacuoles) पाई जाती हैं, जो तैरने में सहायता करती हैं।
- भोजन का संग्रहण:
- इनका भोजन स्टार्च और प्रोटीन के रूप में संगृहीत किया जाता है।
- हिटरोसिस्ट (Heterocyst):
- इनमें कुछ सदस्यों में हिटरोसिस्ट (Heterocyst) कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen fixation) में सहायता करती हैं।
- प्रजनन:
- इनकी प्रजनन प्रक्रिया एकाइनीट्स (Akinetes), हॉर्मोगोन्स (Hormogones), और हिटरोसिस्ट (Heterocyst) द्वारा होती है।
- इनमें लैंगिक प्रजनन का अभाव होता है और चल (Motile) प्रजनक संरचनाएँ नहीं होतीं।
उदाहरण:
- नॉस्टॉक (Nostoc)
- एनाबीना (Anabaena)
- ऑसिलेटोरिया (Oscillatoria)
- माइकोसिस्टिस (Microcystis)
- लिंगव्या (Lyngbya)
- स्पाइरुलिना (Spirulina)
- सिलिन्ड्रोस्पर्मम (Cylindrospermum)
- ग्लिओट्राइकिया (Gleotrichea)
यह जीवाणु प्रकाश संश्लेषी होते हैं, और विभिन्न जल निकायों और मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाई जाती हैं, जिससे वे पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।