तन्तुवत् या कवकसम जीवाणु (Actinomycetes)
एक्टीनोमाइसीट्स (Actinomycetes), जिन्हें कवकसम जीवाणु (Mould bacteria) भी कहा जाता है, एक प्रकार के तन्तुवत् (filamentous) प्रोकैरियोटिक जीवाणु होते हैं। इनकी खोज हार्ज (Harz, 1877) ने की थी और इन्हें एक्टीनोमाइसीटेल्स (Actinomycetales) नामक गण में वर्गीकृत किया गया है। ये जीवाणु और कवक दोनों के लक्षण रखते हैं, जिसके कारण इन्हें दोनों के बीच का रूप माना जाता है।
कवकों के समान लक्षण (Fungal Like Characters)
- तन्तुवत् शरीर – एक्टीनोमाइसीट्स का शरीर तन्तुवत् होता है, जो शाखाओं में फैलता है।
- कोनीडिया का निर्माण – इनके तन्तुओं की वायवीय शाखाओं (aerial branches) पर कोनीडिया (Conidia) का निर्माण होता है, जो एक प्रकार के प्रजनन अंग होते हैं।
इन लक्षणों के कारण इन्हें रे-फंजाई (Ray-fungi) या कवकसम जीवाणु भी कहा जाता है।
जीवाणु के समान लक्षण (Bacterial Characters)
- प्रोकैरियोटिक कोशिका संरचना – इनकी कोशिकाओं में प्रोकैरियोटिक संरचना पाई जाती है, जो इन्हें जीवाणुओं जैसा बनाती है।
- ग्राम-ग्राह्यता – इनका ग्राम स्टेनिंग गुण (Gram staining) होता है, जो इन्हें जीवाणु समूह में स्थान देता है।
इन लक्षणों के कारण इन्हें आधुनिक वैज्ञानिक जगत-मोनेरा (Kingdom Monera) के अन्तर्गत वर्गीकृत करते हैं।
प्राप्ति स्थान (Occurrence)
- एक्टीनोमाइसीट्स मृदा (soil), जल, कीचड़, खाद्य पदार्थों और खादों आदि में पाए जाते हैं।
- इनकी अधिकांश प्रजातियाँ मृतोपजीवी (saprophytic) होती हैं, जबकि कुछ प्रजातियाँ परजीवी (parasitic) भी होती हैं, जो पौधों और जन्तुओं में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न करती हैं। उदाहरण के लिए: स्ट्रेप्टोमाइसिस (Streptomyces), एक्टीनोमाइसिस (Actinomyces), नोकार्डिया (Nocardia) आदि।
एक्टीनोमाइसीट्स के प्रमुख लक्षण (Characteristic Features)
- तन्तुवत् संरचना – एक्टीनोमाइसीट्स तन्तुवत् होते हैं और इनके तन्तु किरणनुमा (ray-like) वृद्धि करते हैं, जिसके कारण इन्हें रे-फंजाई (Ray-fungi) कहा जाता है।
- बहुकोशिकीय संरचना – ये बहुकोशिकीय होते हैं, और उनकी कोशिकाएँ प्रोकैरियोटिक संरचना वाली होती हैं।
- शाखाएँ – इनके तन्तु शाखित होते हैं और दो प्रकार की शाखाएँ होती हैं:
- वायवीय शाखाएँ (Aerial branches): जो हवा में फैलती हैं।
- मूलाभासीय शाखाएँ (Rhizoidal branches): जो मृदा में गहराई में जाकर भोज्य पदार्थों और जल का अवशोषण करती हैं।
- अलैंगिक प्रजनन – ये कोनीडिया (Conidia) और ओइडिया (Oidia) द्वारा अलैंगिक प्रजनन करते हैं। कोनीडिया का निर्माण कोनीडियोफोर्स (Conidiophores) पर एक श्रृंखला (chain) में होता है।
- एण्डोस्पोर्स का निर्माण नहीं – इनमें एण्डोस्पोर्स (Endospores) का निर्माण नहीं होता है।
- प्रतिजैविक रासायनिक पदार्थों का निर्माण – बहुत-से एक्टीनोमाइसीट्स ऐसे रासायनिक पदार्थों का निर्माण करते हैं जो अन्य सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकते हैं। इन्हें प्रतिजैविक (Antibiotics) कहते हैं, जैसे स्टे्रप्टोमाइसिन (Streptomycin), जो जीवाणुओं के इलाज में उपयोगी होते हैं।
निष्कर्ष:
एक्टीनोमाइसीट्स तन्तुवत् जीवाणु होते हैं जो कवकों और जीवाणुओं दोनों के लक्षण रखते हैं। ये मृदा, जल और खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं और प्रमुख रूप से मृतोपजीवी होते हैं, लेकिन कुछ परजीवी प्रजातियाँ भी होती हैं। ये अलैंगिक प्रजनन द्वारा वृद्धि करते हैं और प्रतिजैविक रासायनिक पदार्थों का उत्पादन करते हैं, जो चिकित्सा में महत्वपूर्ण होते हैं।