जीवाणु में प्रजनन (Reproduction in Bacteria)
जीवाणुओं में प्रजनन की प्रक्रिया सरल और विविध होती है। ये मुख्य रूप से अलैंगिक (Asexual) प्रजनन द्वारा प्रजनन करते हैं, लेकिन कुछ मामलों में आनुवंशिक पुनर्योजन भी देखा जाता है। जीवाणुओं में प्रजनन के प्रमुख तरीके निम्नलिखित हैं:
1. वर्धी प्रजनन (Vegetative Reproduction)
जीवाणुओं में वर्धी प्रजनन दो प्रमुख विधियों द्वारा होता है:
- (i) मुकुलन (Budding):
- इस प्रकार के वर्धी प्रजनन में जीवाणु कोशिका के एक सिरे पर एक छोटा-सा उभार बनता है, जिसे मुकुल या कलिका कहते हैं। यह उभार धीरे-धीरे बढ़ता है और अंततः पैतृक कोशिका से अलग होकर एक नया जीवाणु बन जाता है।
- (ii) द्विविखण्डन (Binary Fission):
- यह जीवाणुओं में प्रजनन की सबसे सामान्य विधि है। इसमें पहले कोशिका आकार में वृद्धि करती है और इसका आनुवंशिक पदार्थ (DNA) दो समान भागों में बँट जाता है। इसके बाद कोशिका के मध्य में संकीर्णन शुरू होता है और यह संकीर्णन पूरी तरह से गहरे खांचे में बदल जाता है। अंततः दो नई कोशिकाएँ बन जाती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में यह प्रक्रिया हर 20 मिनट में होती है, और यदि अनुकूल परिस्थितियाँ बनी रहती हैं, तो एक जीवाणु से 12 घंटे में लाखों कोशिकाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
2. अलैंगिक प्रजनन (Asexual Reproduction)
जीवाणुओं में अलैंगिक प्रजनन के निम्नलिखित तरीके होते हैं:
- (i) अन्तः बीजाणुओं द्वारा (By Endospores):
- कुछ जीवाणु जैसे बेसिलस (Bacillus) और क्लॉस्ट्रीडियम (Clostridium) प्रतिकूल परिस्थितियों में अन्तः बीजाणु बनाते हैं। यह बीजाणु जल, तापमान और रसायनों से अत्यधिक प्रतिरोधी होते हैं। अनुकूल परिस्थितियों में ये बीजाणु सक्रिय होकर नई कोशिका का निर्माण करते हैं। यह प्रक्रिया जीवाणुओं के लिए केवल प्रजनन नहीं, बल्कि प्रतिकूल परिस्थितियों से बचाव की विधि होती है।
- अंतः बीजाणु की कोशिका भित्ति चार भागों से बनी होती है:
- Exosporium (एक्जोस्पोरियम)
- Spore coat (बीजाणु कवच)
- Cortex (कॉर्टेक्स)
- Spore wall (बीजाणु भित्ति)
- (ii) चल-बीजाणुओं द्वारा (By Zoospores):
- कुछ जीवाणु जैसे राइजोबियम (Rhizobium) में चल-बीजाणुओं का निर्माण होता है। ये चल-बीजाणु स्वतंत्र रूप से कोशिका भित्ति के फटने पर बाहर आते हैं और नए जीवाणु कोशिकाएँ बनाते हैं।
3. लैंगिक प्रजनन (Sexual Reproduction)
जीवाणुओं में वास्तविक लैंगिक प्रजनन नहीं पाया जाता है, लेकिन आनुवंशिक पुनर्योजन की प्रक्रिया तीन प्रमुख विधियों द्वारा होती है:
- (i) संयुग्मन (Conjugation):
- यह जीवाणुओं में आनुवंशिक पुनर्योजन का सामान्य तरीका है। इसमें दो जीवाणु कोशिकाएँ अपने आनुवंशिक पदार्थ का आदान-प्रदान करती हैं।
- F-factor (Fertilization factor) या प्लाज्मिड के माध्यम से यह प्रक्रिया होती है। इसमें एक जीवाणु कोशिका, जिसे F- कहा जाता है, अपना F-factor दूसरे जीवाणु कोशिका, जिसे F+ कहा जाता है, में स्थानांतरित करता है। इससे दोनों कोशिकाओं में आनुवंशिक विविधता उत्पन्न होती है।
- (ii) रूपान्तरण (Transformation):
- इस प्रक्रिया में एक जीवाणु बाहरी वातावरण से मुक्त आनुवंशिक पदार्थ (DNA) को अवशोषित कर लेता है और उसे अपनी आनुवंशिक संरचना में समाहित कर लेता है। इससे आनुवंशिक पुनर्योजन होता है।
- (iii) पारक्रमण (Transduction):
- पारक्रमण में वायरस (फेज) द्वारा आनुवंशिक पदार्थ का स्थानांतरण होता है। यह वायरस जीवाणु कोशिका में अपना DNA इंजेक्ट करते हैं और उसके बाद वह DNA जीवाणु की आनुवंशिक सामग्री के साथ जुड़ जाता है।
निष्कर्ष: जीवाणु प्रजनन में विविधताएँ होती हैं, लेकिन मुख्यतः यह अलैंगिक प्रजनन द्वारा होता है, जैसे द्विविखण्डन और अन्तः बीजाणुओं के निर्माण द्वारा। लैंगिक प्रजनन की प्रक्रिया मुख्यतः आनुवंशिक पुनर्योजन के रूप में होती है, जो संयुग्मन, रूपान्तरण और पारक्रमण द्वारा होती है।