निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा
भक्ति आंदोलन के व्यापक और मानवीय स्वरूप में सूफी साधकों का योगदान भी महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि वे इस्लाम के अनुयायी थे, लेकिन उनके दर्शन और साधना पद्धति ने भक्ति आंदोलन को गहराई प्रदान की।
सूफी दर्शन के मुख्य बिंदु
एकेश्वरवाद
इस्लाम के आधारभूत सिद्धांत से प्रेरित, सूफी साधना में ‘अनहलक’ (मैं ब्रह्म हूँ) की अवधारणा अद्वैतवाद से मेल खाती है।
मानव के चार विभाग
नफ्स: इंद्रियां
अक्ल: बुद्धि या माया
कल्ब: हृदय
रूह: आत्मा
साधना में नफ्स और अक्ल को दबाकर, कल्ब (हृदय) के माध्यम से रूह (आत्मा) की प्राप्ति का लक्ष्य होता है।
हृदय साधना
हृदय को दर्पण माना गया है। यह जितना निर्मल होगा, परमसत्ता का प्रतिबिंब उतना ही स्पष्ट होगा।
सूफी साधना की विशेषताएं
प्रेमाश्रित साधना
सूफी साधना प्रेम पर आधारित है, जो लोकरक्षा और लोकरंजन के प्रति भी प्रतिबद्ध है।
उदार दृष्टिकोण
परंपरा को अपनाते हुए रूढ़ियों और जर्जर मान्यताओं का त्याग।
व्यापक मानवीय दृष्टि के कारण कट्टर मुस्लिम विचारधारा से अलग।
भारतीय संस्कृति का समन्वय
भारतीय दार्शनिक मतों और सिद्धांतों का प्रभाव।
सर्वात्मवाद और अद्वैतवाद तक का विकास।
धार्मिक ग्रंथों का समावेश
कुरान के साथ वेद और पुराण को भी लोककल्याणकारी मानना।
भारत में सूफी परंपरा
प्रवेश
भारत में सूफी परंपरा का आगमन 12वीं शताब्दी में मुईनुद्दीन चिश्ती के समय से हुआ।
प्रमुख संप्रदाय
चिश्ती
सोहरावर्दी
कादरी
नक्शबंदी
सूफी कवि और उनकी परंपरा
मुल्ला दाऊद (1379 ई.)
हिंदी के पहले सूफी कवि माने जाते हैं।
भाषा और शैली
हिंदी सूफी काव्य मुख्यतः अवधी भाषा में मिलता है।
कथा-कहानियों का आधार हिंदू घरों की परंपराओं और संस्कृति पर आधारित।
प्रेम की व्यंजना
प्रेम की पीड़ा और उसकी गहराई का मार्मिक चित्रण सूफी काव्य की विशेषता है।
कालखंड
सूफी कवियों की परंपरा 19वीं शताब्दी तक चलती रही।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
सूफी साधकों ने प्रेम और भक्ति को एक नया आयाम दिया।
इनका काव्य भारतीय संस्कृति और इस्लामिक दर्शन का अद्भुत समन्वय है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने जायसी और अन्य सूफी कवियों को तुलसी, सूर, और कबीर की कोटि में रखा।
निष्कर्ष
सूफी कवियों ने भक्ति आंदोलन को समृद्ध किया, जहाँ प्रेम, मानवता और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम दिखाई देता है।मार्ग विरोधी न थे। उन्हें कुरान के साथ-साथ वेद और पुराण भी लोककल्याण के मार्ग का प्रतिपादन करने वाले प्रतीत हुए। सूफियों के अनुसार मानव सृष्टि का चरमोत्कर्ष है और वही ईश्वर के स्वरूप की पूर्ण अभिव्यक्ति है। मानव का परम लक्ष्य उसकी पूर्णता की प्राप्ति होना चाहिए। सूफी साधना का प्रवेश इस देश में 12 वीं शती में मुईनुद्दीन चिश्ती के समय से माना जाता है। सूफी साधना के चार संप्रदाय प्रसिद्ध है। 1. चिश्ती 2. सोहरावर्दी 3. कादरी 4. नक्शबंदी। मुल्ला दाउद (1379 ई.) हिन्दी के प्रथम सूफी कवि हैं। सूफी कवियों की परंपरा 19 वीं शती तक मिलती है। हिंदी का सूफी काव्य अवधी भाषा में रचित मिलता है। सूफी मुसलमान थे लेकिन उन्होंने हिंदू घरों में प्रचलित कथा- कहानियों को अपने काव्य का आधार बनाया। उनकी भाषा और वर्णन में भारतीय संस्कृति रची बसी है। प्रेम की पीर की व्यंजना इनकी विशेषता है।