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जगत- मोनेरा (Kingdom: Monera)
जगत मोनेरा में एककोशिकीय प्रोकैरियोटिक जीव आते हैं। इस वर्ग के जीवों के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:
- कोशिका संरचना: ये सभी जीव सूक्ष्म (Microscopic) होते हैं और इनमें प्रोकैरियोटिक कोशिका संरचना होती है, जो बिना न्यूक्लियस (नाभिक) के होती है। इनमें कशाभिकाएँ (Flagella) 9 + 2 संरचना वाली नहीं होतीं।
- कोशिकांग: इन जीवों में द्वि-झिल्लीयुक्त कोशिकांग (Double membraned organelles) नहीं पाए जाते, जैसे माइटोकॉन्ड्रिया या क्लोरोप्लास्ट।
- प्रजनन: मोनेरा समूह के जीवों में अलैंगिक प्रजनन होता है। हालांकि इनमें प्रोटो-लैंगिक प्रक्रिया (Proto-sexual) जीन पुनर्व्यवस्थापन (Gene recombination) के द्वारा होती है, जो आनुवंशिक विविधता उत्पन्न करने में मदद करती है।
- पोषण: ये जीव स्वपोषी (Autotrophic) और विषमपोषी (Heterotrophic) दोनों प्रकार के हो सकते हैं। स्वपोषी जीवों में प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) और रासायनिक संश्लेषण (Chemosynthesis) होते हैं, जबकि विषमपोषी जीव बाहरी स्रोतों से पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।
- कार्य: मोनेरा समूह के कुछ जीव, जैसे राइजोबियम (Rhizobium), नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter), आदि नाइट्रोजन स्थिरीकरण और अपघटन (Decomposition) जैसी महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं। ये पर्यावरण के पोषक चक्र को बनाए रखते हैं।
- कोशिका भित्ति: इनकी अधिकांश कोशिकाओं के चारों ओर एक दृढ़ कोशिका भित्ति होती है, जो जीवाणुओं (Bacteria) में आमतौर पर पाई जाती है।
- प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवन: मोनेरा समूह के कुछ जीव, जैसे आकर्बैक्टीरिया (Archaebacteria), बहुत प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं। ये जीव ऑक्सीजन की अनुपस्थिति, उच्च तापमान (80°C या उससे अधिक), अत्यधिक अम्लीय या अधिक लवणीय मृदा में भी पनप सकते हैं।
इन लक्षणों के कारण मोनेरा समूह के जीवों को पर्यावरणीय स्थितियों के प्रति बहुत लचीलापन और विविधता की क्षमता मिलती है।
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