वर्गिकी (TAXONOMY)

वर्गिकी (Taxonomy) विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत जीवों के वर्गीकरण का अध्ययन किया जाता है। इसका उद्देश्य जीवों को उनकी विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित और वर्गीकृत करना है। कभी-कभी इस शब्द के स्थान पर सिस्टेमैटिक्स (Systematics) का उपयोग भी किया जाता है।

वर्गीकरण के अध्ययन और जीवों के वर्गीकरण का कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को वर्गिकी विशेषज्ञ (Taxonomist) कहा जाता है।

कैरोलस लीनियस (Carolus Linnaeus) और वर्गिकी:

कैरोलस लीनियस को वर्गीकरण विज्ञान या वर्गिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने जीवों के नामकरण और वर्गीकरण की आधुनिक पद्धतियों की नींव रखी।

टैक्सोनॉमी (वर्गिकी) शब्द का इतिहास:

इस शब्द का उपयोग सबसे पहले ए. पी. डी कैण्डोले (A.P. de Candole, 1813) ने किया था।

वर्गिकी के प्रमुख तत्व (ELEMENTS OF TAXONOMY):

वर्गिकी के तीन प्रमुख तत्व होते हैं:

  1. पहचान (Identification): इसमें जीवों के लक्षणों का अध्ययन किया जाता है और उनकी पहचान स्थापित की जाती है। यह तुलना के आधार पर की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि एक जीव किसी अन्य जीव से कितना मिलता-जुलता है।
  2. नामकरण (Nomenclature): इसमें जीवों को उनके लक्षणों के आधार पर एक विशिष्ट नाम दिया जाता है ताकि वह नाम विश्व भर में एक ही रूप में पहचाना जा सके। यह प्रक्रिया जीवों के वैज्ञानिक नामकरण से जुड़ी होती है, जैसे बाइनोमियल नामकरण प्रणाली (दो शब्दों में नामकरण)।
  3. वर्गीकरण (Classification): पहचान और नामकरण के बाद, जीवों को विशिष्ट वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे उनका व्यवस्थित अध्ययन और समझ हो सके।

वर्गीकरण में उपयोग किये जाने वाले प्रमुख संवर्ग (Categories):

वर्गीकरण के दौरान जीवों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है, जिन्हें टैक्सॉन (Taxon) कहा जाता है। ये प्रमुख संवर्ग निम्नलिखित हैं:

  1. जगत (Kingdom)
  2. संघ (Phylum) या प्रभाग (Division)
  3. वर्ग (Class)
  4. गण (Order)
  5. कुल (Family)
  6. वंश (Genus)
  7. जाति (Species)

इनमें से प्रजाति (Species) वर्गीकरण की सबसे छोटी और बुनियादी इकाई मानी जाती है, जबकि जगत (Kingdom) सबसे बड़ी इकाई होती है।

वर्गिकी का उद्देश्य जीवों के विविध रूपों को समझना और उनके बीच के संबंधों को स्पष्ट करना होता है।

Leave a Comment