अम्बिका दत्त व्यास जी का साहित्यिक जीवन परिचय
अम्बिकादत्त व्यास (जन्म- 1848; मृत्यु- 1900) ब्रजभाषा के कुशल और सरस कवि थे। ये ‘भारतेन्दु युग’ के कवि और लेखक थे। ये भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के समकालीन तथा उनसे प्रभावित हिन्दी सेवी साहित्यकार थे। 12 वर्ष की अवस्था में ‘काशी कविता वर्धिनी सभा’ ने ‘सुकवि’ की उपाधि से इन्हें सम्मानित किया था।
अम्बिका दत्त व्यास जी की रचनाएँ
प्रमुख काव्य-कृतियां
- गणेशशतकम्
- शिवविवाह (खण्डकाव्य),
- सहस्रनामरामायणम् — इसमें एक हजार श्लोक हैं। यह 1898ई. में पटना में रचा गया।
- पुष्पवर्षा (काव्य),
- उपदेशलता (काव्य)
- साहित्यनलिनी,
- रत्नाष्टकम् (कथा) — यह हास्यरस से पूर्ण कथासंग्रह है।
- कथाकुसुमम् (कथासंग्रह)
- शिवराजविजय (उपन्यास) — 1870 में लिखा गया, किन्तु इसका प्रथम संस्करण 1901 ई. में प्रकाशित हुआ।
- समस्यापूर्तयः, काव्यकादम्बिनी ( ग्वालियर में प्रकाशित)
- सामवतम् — यह नाटक, पटना में लिखा गया। इसकी प्रेरणा महाराज लक्ष्मीश्वरसिंह से प्राप्त हुई. थी। यह स्कन्दपुराण की कथा पर आधारित है तथा इसमें छह अंक हैं।
- ललिता नाटिका,
- मर्तिपूजा,
- गुप्ताशुद्धिदर्शनम्,
- क्षेत्र-कौशलम्,
- प्रस्तारदीपिका
- सांख्यसागरसुधा।
प्रकाशित कृतियाँ
- बिहारी बिहार (1898 ई.)
- पावस पचास,
- ललिता (नाटिका)1884 ई.
- गोसंकट (1887 ई.)
- आश्चर्य वृतान्त 1893 ई.
- गद्य काव्य मीमांसा 1897 ई.,
- हो हो होरी
अम्बिका दत्त व्यास जी साहित्य में स्थान
कवि अम्बिकादत्त अपनी असाधारण विद्वत्ता तथा प्रतिभा के कारण समकालीन विद्वन्मण्डली में ‘भारतभास्कर’,’साहित्याचार्य’, ‘व्यास’ आदि उपाधियों से भूषित थे इन्हें 19वीं सदी का बाणभट्ट माना जाता है। श्री व्यास जीवनपर्यन्त साहित्याराधना में लीन रहे। आधुनिक संस्कृत रचनाकारों में सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त एवं अलौकिक प्रतिभासंपन्न साहित्याचार्य श्री अंबिकादत्त व्यास जी हैं।