प्रोटिस्टा जगत में प्रचलन

प्रोटिस्टा जीवों में प्रचलन के लिए विशिष्ट अंग पाये जाते हैं, जिन्हें प्रचलन अंग (Locomotory Organs) कहते हैं। ये अंग जीवों को उनके आवास में गतिशील होने में मदद करते हैं। प्रोटिस्टा जीवों में मुख्यतः तीन प्रकार के प्रचलन अंग पाए जाते हैं:

1. सिलिया (Cilia):

सिलिया पतली रोम जैसी संरचनाएँ होती हैं, जो कोशिका की बाहरी सतह पर पाई जाती हैं। इनकी लंबाई लगभग 5-10 माइक्रॉन होती है। सिलिया को प्रभावी आघात (Power stroke) और क्षतिपूर्ति आघात (Recovery stroke) में गतिशील किया जाता है। यह क्रिया जीवों को अपने माध्यम में गतिशील करने में मदद करती है। जैसे- पैरामीशियम (Paramecium) में सिलिया का उपयोग प्रचलन के लिए होता है।

2. कशाभिकाएँ (Flagella):

कशाभिकाएँ लंबी, बाल जैसी संरचनाएँ होती हैं जो कुछ प्रोटिस्टों की कोशिकाओं से निकलती हैं। ये कशाभिकाएँ एकल या समूह में हो सकती हैं। कशाभिकाओं की गति एकल अँगुली की तरह होती है, जो जीव को अग्रिम दिशा में गति देने में मदद करती है। उदाहरण- युग्लीना (Euglena), ट्राइपैनोसोमा (Trypanosoma) में कशाभिकाएँ प्रचलन का मुख्य अंग होती हैं।

3. कूटपाद (Pseudopodia):

कूटपाद प्रोटिस्टों के शरीर की अतिवृद्धियाँ होती हैं, जिनका उपयोग वे प्रचलन और भोजन ग्रहण के लिए करते हैं। कूटपाद का विस्तार और संकुचन जीव को गतिशील बनाने में मदद करता है। इसका उपयोग विशेष रूप से अमीबा (Amoeba) जैसे प्रोटिस्टों में होता है, जो अपनी रूपरचना में परिवर्तन करके कूटपाद के द्वारा प्रचलन करते हैं और भोजन का अवशोषण करते हैं।

इन तीन प्रकार के प्रचलन अंगों के माध्यम से प्रोटिस्टा जीवों में प्रचलन क्रिया होती है, जो उन्हें विभिन्न प्रकार के वातावरण में गतिशील रहने में सक्षम बनाती है।

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