पाँच जगत वर्गीकरण के लाभ (Advantages of Five Kingdom Classification)
पाँच जगत वर्गीकरण जीवों के बीच जैविक और संरचनात्मक भिन्नताओं को पहचानने में मदद करता है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
- प्रोकैरियोटिक जीवों का पृथक्करण:
- इस वर्गीकरण में प्रोकैरियॉटिक कोशिका संरचना वाले सभी जीवों को पृथक् जगत मोनेरा (Monera) में रखा गया है। क्योंकि ये जीव कोशिकीय संरचना, प्रजनन और कार्यात्मक संगठन में अन्य जीवों से भिन्न होते हैं।
- युग्लीना का स्थान:
- युग्लीना (Euglena), जिसमें पौधों और जन्तुओं दोनों के लक्षण होते हैं, को प्रोटिस्टा (Protista) में रखा गया है। यह वर्गीकरण जीवों के मिश्रित लक्षणों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है।
- एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों का पृथक्करण:
- इस वर्गीकरण में एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों को अलग-अलग रखा गया है, जिससे उनकी संरचना और कार्य में अंतर स्पष्ट होता है।
- कवकों का पृथक्करण:
- कवकों को अलग जगत में रखा गया है, क्योंकि उनका जैव रासायनिक, कार्यात्मक और संरचनात्मक संगठन पौधों से भिन्न होता है। यह उनकी विशेषताओं को सही प्रकार से दर्शाता है।
- विकासक्रम का प्रदर्शन:
- यह वर्गीकरण कोशिकाओं की जटिलता, शरीर के संगठन और पोषण विधि पर आधारित है, जिससे विकास के क्रम को सही ढंग से प्रदर्शित किया जा सकता है।
- प्राकृतिक वर्गीकरण:
- पाँच जगत वर्गीकरण द्विजगत वर्गीकरण से अधिक प्राकृतिक प्रतीत होता है, क्योंकि यह जीवों की विभिन्न जीवन-शैलियों को प्रदर्शित करता है, जो उनके वास्तविक विकासक्रम को बेहतर तरीके से दर्शाता है।
- स्वयंपोषी और विषमपोषी जीवों का पृथक्करण:
- इस वर्गीकरण में स्वयंपोषी (Autotrophic) और विषमपोषी (Heterotrophic) जीवों को अलग-अलग रखा गया है, जो उनके पोषण प्रकार में भिन्नता को स्पष्ट रूप से दिखाता है।
पाँच जगत वर्गीकरण के गुण (Merits of Five Kingdom Classification)
- प्रोकैरियोट्स का पृथक्करण:
- इस वर्गीकरण में प्रोकैरियोट्स को पृथक् रखा गया है, क्योंकि इनकी कोशिकीय संरचना, कार्य, जैव-रासायनिक प्रक्रियाएँ और जनन प्रक्रिया अन्य जीवों से भिन्न होती हैं।
- एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों का पृथक्करण:
- यह वर्गीकरण एककोशिकीय और बहुकोशिकीय जीवों को अलग-अलग स्थानों पर रखता है, जिससे उनकी संरचना और जीवनशैली को समझना आसान होता है।
- कवकों का पृथक्करण:
- कवक जीवों को पृथक् जगत में रखा गया है, क्योंकि इनका पोषण प्रक्रिया अन्य पौधों से भिन्न होती है। कवक मृत या सड़े-गले पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं, जबकि पौधे स्वयंपोषी होते हैं।
- प्रकाश-संश्लेषी और अप्रकाश-संश्लेषी जीवों का पृथक्करण:
- इस वर्गीकरण में प्रकाश-संश्लेषी (Photosynthetic) और अप्रकाश-संश्लेषी (Non-photosynthetic) जीवों को अलग-अलग जगतों में रखा गया है, जो उनके पोषण के तरीके को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
- प्राकृतिक वर्गीकरण:
- यह वर्गीकरण द्वि-जगत वर्गीकरण से अधिक प्राकृतिक प्रतीत होता है क्योंकि यह विभिन्न जीवों की जीवनशैली और पोषण विधि को ध्यान में रखते हुए उन्हें वर्गीकृत करता है।
- विकास के क्रम का प्रदर्शन:
- यह वर्गीकरण जैव संगठन और पोषण विधि पर आधारित है, जिससे यह विकास के क्रम को प्रदर्शित करने में सक्षम है। यह जीवों के विकास की सटीक तस्वीर प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार, पाँच जगत वर्गीकरण एक बेहतर और व्यवस्थित तरीके से जीवों को उनकी संरचनाओं और कार्यों के आधार पर वर्गीकृत करता है, जिससे जैवविविधता को समझने में आसानी होती है।