पाँच जगत वर्गीकरण की कमियाँ (Drawbacks of Five Kingdom Classification)
पाँच जगत वर्गीकरण ने जीवों को उनके गुण और संरचना के आधार पर वर्गीकृत किया है, और यह प्रणाली बहुत लोकप्रिय रही है। हालांकि, इस वर्गीकरण में कुछ कमियाँ भी हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- शैवालों का असंगत वर्गीकरण
पाँच जगत वर्गीकरण में एककोशिकीय शैवालों को प्रोटिस्टा जगत में रखा गया है, जबकि इन शैवालों के समान अन्य बहुकोशिकीय शैवालों को पादप जगत में रखा गया है। शैवालों के लक्षण (जैसे प्रकाश संश्लेषण) को ध्यान में रखते हुए सभी शैवालों को एक साथ वर्गीकृत किया जाना चाहिए था, बजाय इसके कि उन्हें दो अलग-अलग जगतों में रखा जाए। - प्रोटिस्टा जगत की अत्यधिक विविधता
प्रोटिस्टा जगत में अत्यधिक विविधता पाई जाती है, जिसमें यूग्लीना (Euglena) जैसे पौधों के लक्षण प्रदर्शित करने वाले जीवों के साथ-साथ अवपंक कवक (Slime Moulds) जैसे कवक के लक्षण प्रदर्शित करने वाले जीव भी सम्मिलित कर दिए गए हैं। यह वर्गीकरण तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि ये जीव बिल्कुल भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं और एक ही वर्ग में रखना उचित नहीं है। - विविध जीवों का एक साथ वर्गीकरण
कुछ वर्गों में इतने विविध जीवधारियों को एक साथ रखा गया है, जो उनके बीच अंतर को नजरअंदाज करते हैं। उदाहरण के तौर पर, मोनेरा और प्रोटिस्टा जगतों में भित्तिरहित जीव, प्रकाश-संश्लेषी जीव, और अप्रकाश-संश्लेषी जीव एक ही वर्ग में रखे गए हैं, जो एकदूसरे से पूरी तरह भिन्न हैं। इस प्रकार का वर्गीकरण अनुचित है क्योंकि इन जीवों के लक्षण और संरचना में काफी अंतर होता है। - बहुस्रोतोद्भवी उत्पत्ति (Polyphyletic Origin)
मोनेरा जगत के जीवों को छोड़कर, अन्य सभी जगतों के जीव बहुस्रोतोद्भवी (Polyphyletic) उत्पत्ति को प्रदर्शित करते हैं। इसका मतलब यह है कि ये जीव अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न हुए हैं, और इन्हें एक ही वर्ग में रखना जैविक दृष्टिकोण से सही नहीं है। यह एक बड़ी कमी है, क्योंकि इसे जीवों की प्राकृतिक उत्पत्ति और विकास को ठीक से प्रदर्शित नहीं किया जा रहा है। - विषाणुओं की स्थिति का अभाव
पाँच जगत वर्गीकरण में विषाणुओं (Viruses) का कोई स्थान नहीं है, जबकि विषाणु जीवों का एक महत्वपूर्ण वर्ग हैं और उनकी पहचान और वर्गीकरण भी एक गंभीर चुनौती है। विषाणु न तो जीवधारी हैं और न ही पूर्ण रूप से निर्जीव होते हैं, इसलिये इन्हें इस वर्गीकरण में शामिल करना एक समस्या बनी हुई है।
इन कमियों के बावजूद, पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली ने जीवों के वर्गीकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन अब इसे और अधिक परिष्कृत और आधुनिक दृष्टिकोण से पुनः देखा जा रहा है।