परजीवी प्रोटोजोआ

परजीवी प्रोटोजोआ (Parasitic Protozoans)

प्रोटिस्टा जगत के अधिकांश जीव स्वतंत्र होते हैं, जो जल, गीली मिट्टी, सड़ी-गली कार्बनिक पदार्थों में स्वपोषी या विषमपोषी के रूप में पाए जाते हैं। हालांकि, इस जगत के कुछ जीव हमारे और अन्य जन्तुओं के शरीर में सहजीवी या परजीवी के रूप में पाए जाते हैं। जब ये जीव शरीर में परजीवी के रूप में पाए जाते हैं, तो ये किसी न किसी विकृति या रोग का कारण बनते हैं।

प्रोटोजोआ के वर्ग स्पोरोजोआ में अधिकांश जीव परजीवी रूप में पाए जाते हैं, इसलिए इसे परजीवी प्रोटोजोआ कहा जाता है। इन जीवों का शरीर एक पेलिकल (Pellicle) नामक आवरण से घिरा होता है, जो उन्हें उनके पोषक के शरीर में आक्रमण से बचाता है।

कुछ परजीवी प्रोटोजोआ का जीवन-चक्र दो जीवों में पूरा होता है, जिनमें एक जीव वाहक का कार्य करता है। उदाहरण के लिए, मलेरिया का परजीवी प्लाज्मोडियम (Plasmodium) मच्छर और मनुष्य में अपना जीवन-चक्र पूरा करता है।

परजीवी प्रोटोजोआ के द्वारा उत्पन्न रोग

मनुष्य के शरीर में कई परजीवी प्रोटोजोआ होते हैं, जो विभिन्न रोगों का कारण बनते हैं। इन रोगों में प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं:

  1. मलेरिया (Malaria): यह रोग प्लाज्मोडियम की प्रजातियों (Plasmodium sp.) से होता है। इसका संचरण मादा एनोफिलीज मच्छर के द्वारा होता है।
  2. पेचिश (Dysentery): यह रोग एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) के कारण होता है, जो आंतों में संक्रमण करता है।
  3. पायरिया (Pyria): यह रोग एण्टअमीबा जिन्जिवैलिस (Entamoeba gingivalis) के कारण होता है, जो मसूड़ों और दांतों में संक्रमण उत्पन्न करता है।
  4. कालाजार (Kala-azar): यह रोग लिश्मानिया डोनोवानी (Leishmania donovani) के कारण होता है, और इसका संक्रमण सैण्ड मक्खी द्वारा होता है।
  5. निद्रा रोग (Sleeping disease): यह रोग ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma) के कारण होता है, जिसका संक्रमण सी-सी मक्खी के द्वारा होता है।
  6. अतिसार रोग (Diarrhoea): यह रोग जिआर्डिया इण्टेस्टाइनेलिस (Giardia intestinalis) के कारण होता है, और इसका संक्रमण संदूषित भोजन द्वारा होता है।
  7. वेजाइना संक्रमण (Vaginal infection): यह संक्रमण ट्राइकोमोनास वेजाइनेलिस (Trichomonas vaginalis) के कारण होता है, और इसका संक्रमण सीधे सम्पर्क द्वारा होता है।

आर्थिक महत्व

परजीवी प्रोटोजोआ का आर्थिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि ये कई प्रकार के संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं, जो मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। इन रोगों के कारण चिकित्सा क्षेत्र में भारी खर्च और समाज में बिमारियों की दर में वृद्धि होती है।

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