जीवाणुभोजी की संरचना व प्रजनन

जीवाणुभोजी एक प्रकार का विषाणु होता है जो विशेष रूप से बैक्टीरिया कोशिकाओं में संक्रमण करता है। इसे टेडपोल (Tadpole) के आकार के समान देखा जा सकता है, और यह फ्रेंच वैज्ञानिक एफ. डब्ल्यू. ट्वर्ट द्वारा 1915 में खोजा गया था। डी. हेरेल ने 1917 में इसका विस्तृत अध्ययन किया था।

जीवाणुभोजी की संरचना:

1. सिर (Head):
जीवाणुभोजी का सिर बहुभुजीय (Polygonal) होता है। इसका आकार 950Å-1350Å लंबाई और 650-850 Å व्यास के बीच होता है। सिर का बाहरी आवरण प्रोटीन से बना होता है और इसके अंदर रैखिक (Linear) द्विसूत्री DNA होता है।

2. ग्रीवा या कॉलर (Neck or Collar):
सिर और पूंछ का संधि स्थल ग्रीवा या कॉलर होता है, जो एक वलयाकार प्लेट के रूप में उपस्थित होता है। यह प्रोटीन के आवरण से घिरा होता है।

3. पूंछ (Tail):
ग्रीवा के नीचे एक बेलनाकार पूंछ पाई जाती है, जिसमें नाभिकीय अम्ल का अभाव होता है। पूंछ में आठ प्रकार के प्रोटीन से बना संकुचनशील आवरण (Contractile sheath) पाया जाता है। इसके साथ 24 वलयाकार वलय होते हैं।

4. आधारीय प्लेट (Basal Plate):
पूंछ के आधार में एक षट्कोणीय प्लेट पाई जाती है, जिसके कोनों में पेग (Peg) या स्पाइक (Spike) नामक संरचनाएँ होती हैं, जो जीवाणुभोजी को पोषक कोशिकाओं से जोड़ने में सहायक होती हैं।

5. पुच्छ तंतु (Tail Fibres):
आधारीय प्लेट के ऊपरी भाग पर छह पतले तंतु होते हैं, जिन्हें पुच्छ तंतु कहते हैं। ये दो कार्य करते हैं:

  • पोषक कोशिका की भित्ति से जीवाणुभोजी को जोड़ने का कार्य।
  • एंजाइम स्रावित करना जो जीवाणु की कोशिकाभित्ति को घोल देता है, जिससे जीवाणुभोजी का DNA कोशिका में प्रवेश कर पाता है।

जीवाणुभोजियों में प्रजनन:

जीवाणुभोजियों में प्रजनन जीवाणु कोशिका के अंदर होता है। यह प्रतिवलन (Replication) विधि द्वारा गुणन करता है और निम्न चरणों में विस्तार पाता है:

1. संक्रमण और जुड़ना (Infection and Attachment):
जीवाणुभोजी पहले अपने पुच्छ तंतु और पेग की मदद से जीवाणु की कोशिका की बाह्य भित्ति से जुड़ता है।

2. वेधन (Penetration):
जीवाणुभोजी के पुच्छ तंतु एक एंजाइम स्रावित करते हैं, जिससे कोशिका भित्ति में छिद्र बन जाता है। जीवाणुभोजी का DNA इस छिद्र से कोशिका में प्रवेश कर जाता है, जबकि उसका प्रोटीन आवरण बाहर रह जाता है।

3. जैव-रासायनिक गुणन (Biochemical Replication):
जीवाणुभोजी का DNA कोशिका के नाभिक में जाता है, जहाँ से mRNA का संश्लेषण होता है। यह mRNA कोशिकाद्रव्य में जाकर प्रोटीन का कैप्सिड बनाता है। इसके बाद, जीवाणुभोजी का DNA द्विगुणन (Replication) द्वारा कई नकलें बनाता है।

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