जीवाणुओं में पोषण

जीवाणुओं में पोषण (Nutritional Modes in Bacteria)

जीवाणु अपनी कोशिका संरचना में अत्यधिक सरल होते हैं, लेकिन उनकी जीवन प्रक्रियाएँ बहुत जटिल होती हैं। ये विभिन्न प्रकार के पोषण विधियों का उपयोग करते हैं ताकि आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर सकें। जीवाणुओं में मुख्यत: तीन प्रकार के पोषण पाए जाते हैं:

  1. स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition)
  2. विषमपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition)
  3. सहजीवी पोषण (Symbiotic Nutrition)

इन पोषण विधियों के आधार पर जीवाणु तीन प्रकार के होते हैं:

  1. स्वयंपोषी जीवाणु (Autotrophic Bacteria)
  2. विषमपोषी जीवाणु (Heterotrophic Bacteria)
  3. सहजीवी जीवाणु (Symbiotic Bacteria)

1. स्वयंपोषी जीवाणु (Autotrophic Bacteria)

स्वयंपोषी जीवाणु वे जीवाणु होते हैं जो अपनी आवश्यक ऊर्जा को प्रकाश या रासायनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं और स्वयं अपना भोजन बनाते हैं। ये जीवाणु दो प्रकार के होते हैं:

(i) प्रकाश संश्लेषी जीवाणु (Photosynthetic Bacteria)

यहां पर जीवाणु सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन बनाते हैं। ये जीवाणु विशेष प्रकार के वर्णकों (Pigments) का उपयोग करते हैं, जो सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर रासायनिक प्रतिक्रिया करते हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान, ये जीवाणु कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से कार्बोहाइड्रेट्स तैयार करते हैं।

  • प्रकाश संश्लेषी जीवाणु में, हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) या सोडियम थायोसल्फेट जैसे रसायनों का उपयोग हाइड्रोजन दाता के रूप में किया जाता है।

प्रकाश संश्लेषी जीवाणु दो प्रमुख प्रकारों में विभाजित होते हैं:

(A) फोटोलिथोट्रॉप्स (Photo-lithotrophs)

ये जीवाणु प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करते हुए, हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) या थायोसल्फेट को हाइड्रोजन दाता के रूप में उपयोग करते हैं। ये जीवाणु सूर्य की रोशनी को पकड़ने के लिए विशेष वर्णक (Pigments) जैसे क्लोरोबियम क्लोरोफिल (Chlorobium chlorophyll) या बैक्टीरियो विरीडीन (Bacterio viridin) का उपयोग करते हैं।

  • उदाहरण: क्लोरोबियम (Chlorobium), ग्रीन सल्फर बैक्टीरिया (Green sulfur bacteria)

यह प्रक्रिया सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और हाइड्रोजन सल्फाइड (HS⁻) से जैविक पदार्थ तैयार करती है।

यह रासायनिक प्रतिक्रिया निम्नलिखित है: 6CO2+12HS− (प्रकाश)→CH2O4+6H2O+12S

यह प्रतिक्रिया निम्नलिखित प्रक्रियाओं को शामिल करती है:

  1. CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड) का उपयोग किया जाता है और इसे जैविक पदार्थ में परिवर्तित किया जाता है।
  2. HS⁻ (हाइड्रोजन सल्फाइड) को हाइड्रोजन दाता के रूप में उपयोग किया जाता है, और इस प्रक्रिया के दौरान सल्फर (S) उत्सर्जित होता है।
  3. प्रकाश (सूर्य की ऊर्जा) इस प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है, जो हाइड्रोजन सल्फाइड के साथ कार्बन डाइऑक्साइड को प्रतिक्रिया करने में मदद करता है।

इसमें उत्पन्न होने वाले उत्पाद हैं:

  • CH₂O₄ (कार्बोहाइड्रेट्स), जो जीवाणु का भोजन होता है।
  • H₂O (पानी) और S (सल्फर) जो बाइ-प्रोडक्ट्स के रूप में उत्सर्जित होते हैं।

यह प्रक्रिया जीवाणु को भोजन बनाने की ऊर्जा देती है और वातावरण में सल्फर का उत्सर्जन करती है, जैसे शैवाल प्रकाश संश्लेषण में ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।

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