घूर्णी कशाभ या अग्नि शैवाल या डाइनोफाइटा (Dinoflagellates or Pyrrophyta or Dinophyta)

घूर्णी कशाभ या अग्नि शैवाल या डाइनोफाइटा (Dinoflagellates or Pyrrophyta or Dinophyta)

डाइनोफ्लैजिलेट्स (Dinoflagellates) एककोशिकीय, स्वपोषी जीव होते हैं जो मुख्य रूप से समुद्री पर्यावरण में पाये जाते हैं। इनका मुख्य लक्षण यह है कि इनमें दो कशाभिका (Flagella) होती हैं जो इनकी गति और प्रजनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह जीव प्रकाश-संश्लेषी वर्णक (पर्णहरिम a, C और कैरोटीनॉइड) वाले होते हैं और इन्हें समुद्र में होने वाली “अग्नि शैवाल” घटनाओं से भी जाना जाता है। इस संघ के अधिकांश जीव समुद्र में पाये जाते हैं, जिनकी संख्या में वृद्धि होने पर समुद्र की सतह पर प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसे “बायोलुमिनसेंस” कहा जाता है।

संरचना और लक्षण (Structure and Characteristic Features)

  1. स्वच्छ और लवणीय जल में उपस्थिति: डाइनोफ्लैजिलेट्स प्रायः स्वच्छ या लवणीय जल में प्लवकों (Planktons) के रूप में पाए जाते हैं।
  2. कोशिकाभित्ति: इनकी कोशिका दीवार सेल्यूलोज की बनी होती है, जो प्लेट के समान संरचनाओं में विभाजित होती है और यह रक्षा कवच (Armoured appearance) जैसी संरचना उत्पन्न करती है।
  3. कशाभिकाएँ: इन जीवों में दो कशाभिकाएँ पाई जाती हैं। एक कशाभिका शरीर के लंबवत् और दूसरी कशाभिका शरीर के अनुप्रस्थ तल पर स्थित कोशिकाभित्ति के एक खाँच में होती है। यह कशाभिका संरचना इस संघ का विशेष लक्षण है।
  4. नग्न प्रोटोप्लास्ट: कुछ जातियों में नग्न प्रोटोप्लास्ट (Naked Protoplast) पाया जाता है, जिसमें कोशिकाभित्ति अनुपस्थित होती है। उदाहरण- Gymnodinium
  5. विषैला पदार्थ: कुछ समुद्री डाइनोफ्लैजिलेट्स विषैले पदार्थों का स्राव करते हैं जो दूसरे जीवों के लिए हानिकारक होते हैं। इनका उदाहरण Gymnodinium, Peridinium, Stylodinium, और Ceratium हैं।
  6. भोज्य पदार्थों का संचय: इन जीवों में तेल और मण्ड के रूप में भोज्य पदार्थों का संचय होता है, जो उनके जीवनचक्र और ऊर्जा संचयन के लिए आवश्यक होते हैं।

प्रजनन (Reproduction)

डाइनोफ्लैजिलेट्स में प्रजनन दो मुख्य विधियों से होता है:

  1. अलैंगिक प्रजनन:
    • चल डाइनोफ्लैजिलेट्स में अलैंगिक प्रजनन के समय, जीव लम्बवत् रूप से दो भागों में विभाजित हो जाता है। इस विभाजन के बाद दोनों अद्धांशों में एक-एक कशाभिका आ जाती है और दोनों अद्धांशों में लुप्त भाग फिर से बन जाते हैं, जिससे दो नये जीव उत्पन्न होते हैं।
    • अचल डाइनोफ्लैजिलेट्स में लम्बवत् विभाजन के बजाय चल बीजाणुओं के द्वारा अलैंगिक प्रजनन होता है। इन बीजाणुओं में दो कशाभिकाएँ पायी जाती हैं।
  2. लैंगिक प्रजनन: कुछ परिस्थितियों में, इन जीवों का लैंगिक प्रजनन भी हो सकता है, जिसमें प्रजनन कोशिकाएँ (gametes) आपस में मिलकर नए जीवों का निर्माण करती हैं।

आर्थिक महत्व

  1. समुद्री पारिस्थितिकी: डाइनोफ्लैजिलेट्स समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये प्रकाश-संश्लेषी जीव समुद्री खाद्य श्रृंखला का हिस्सा हैं और समुद्री भोजन को प्राथमिक स्रोत प्रदान करते हैं।
  2. अग्नि शैवाल और बायोलुमिनसेंस: इनकी बायोलुमिनसेंस घटना का मानवों के लिए शोध और मनोरंजन में उपयोग होता है।
  3. विषाक्त blooms: कुछ डाइनोफ्लैजिलेट्स द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थ समुद्री जीवन के लिए खतरनाक होते हैं और मानव उपभोग के लिए मछली और अन्य समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इस प्रकार, डाइनोफ्लैजिलेट्स एक विविधतापूर्ण और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण जीव समूह हैं, जिनका वैश्विक पर्यावरण पर गहरा प्रभाव होता है।

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