आर्कीबैक्टीरिया (Archaebacteria)

आर्कीबैक्टीरिया (Archaebacteria) जीवाणुओं का एक प्राचीनतम समूह है, जो असाधारण पर्यावरणीय परिस्थितियों में जीवित रहते हैं। इनकी कोशिका संरचनाएँ अन्य बैक्टीरिया से काफी भिन्न होती हैं, जिनकी कोशिका भित्ति में पॉलीसैकेराइड और प्रोटीन होते हैं, और इनकी कोशिका झिल्ली में लिपिड की शाखित श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। यह विशेष संरचना इन जीवों को असाधारण ताप और pH (अम्लता) से सुरक्षा प्रदान करती है। आर्कीबैक्टीरिया की कोशिका भित्ति में पेप्टाइडोग्लाइकॉन नहीं पाया जाता, जो अन्य बैक्टीरिया में पाया जाता है। इनकी असाधारण पर्यावरणीय परिस्थितियों में रहने की क्षमता के आधार पर इन्हें तीन प्रमुख समूहों में विभाजित किया गया है:

(i) मेथेनोजेन्स (Methanogens)

  • विशेषता: ये अवायवीय जीवाणु होते हैं जो कार्बन डाइऑक्साइड या फॉर्मिक अम्ल से मेथेन गैस (CH₄) उत्पन्न करते हैं।
  • वायुमण्डलीय स्थान: ये जीवाणु दलदल भूमि और पशुओं के पहले आमाशय (Rumen) में पाए जाते हैं, जहाँ ये सेल्यूलोज का किण्वन (fermentation) करते हैं।
  • उदाहरण: मीथेनोबैक्टीरिया (Methanobacteria), मीथेनोकोक्कस (Methanococcus) आदि।
  • आवश्यकता: ये बायोगैस संयंत्रों (Bio-gas plants) में मेथेन गैस का उत्पादन करते हैं।

(ii) हैलोफिल्स (Halophiles)

  • विशेषता: ये जीवाणु अधिक नमक की सान्द्रता वाले घोलों में पाये जाते हैं और इन्हें लवणीय या लवणप्रिय कहा जाता है।
  • वर्णीय क्रिया: सूर्य के प्रकाश में रहने पर इनमें बैंगनी रंग की वर्णकीय झिल्ली विकसित हो जाती है, जो प्रकाश का उपयोग करके ATP का संश्लेषण करती है।
  • वायुमण्डलीय स्थान: ये जीवाणु समुद्र के जल या उच्च नमक वाले वातावरण में पाए जाते हैं।
  • उदाहरण: हैलोबैक्टीरियम (Halobacterium), हैलोकोक्कस (Halococcus) आदि।

(iii) थर्मोऐसिडोफिल्स (Thermoacidophiles)

  • विशेषता: ये जीवाणु गर्म और गन्धक युक्त झरनों में पाए जाते हैं, जहाँ तापमान 80°C तक होता है और वातावरण अत्यधिक अम्लीय होता है।
  • वायवीय परिस्थितियाँ: ये गन्धक को गन्धक अम्ल (H₂SO₄) में ऑक्सीकरण करते हैं।
  • अवायवीय परिस्थितियाँ: कुछ थर्मोऐसिडोफिल्स गन्धक को हाइड्रोजन सल्फाइड (H₂S) में अपचयित (reduce) कर सकते हैं।
  • उदाहरण: हैलोबैक्टीरियम (Halobacterium), हैप्लोकोक्कस (Haplococcus) आदि।

आर्कीबैक्टीरिया का ऐतिहासिक महत्व:

आर्कीबैक्टीरिया को प्राचीनतम जीवों में से एक माना जाता है, क्योंकि यह प्राचीन पृथ्वी के समान असाधारण वातावरण में जीवित रहते हैं। इन्हें जीवित जीवाश्म (Living fossils) कहा जाता है क्योंकि इनकी जीवनशैली और संरचना प्राचीन पृथ्वी के वातावरण से मेल खाती है, और यह बैक्टीरिया के विकास की रेखा से अलग हो चुके हैं।

इस प्रकार, आर्कीबैक्टीरिया जीवाणुओं के सबसे पुराने और अनूठे समूहों में से हैं, जो पृथ्वी के पहले वातावरण की स्थिति में जीवित रह सकते हैं।

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