द्विवेदी युग में जीवनी साहित्य का विकास

द्विवेदी युग में जीवनी साहित्य का विकास

द्विवेदी युग हिंदी साहित्य के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है। इस युग में जीवनी लेखन को विशेष महत्त्व मिला, क्योंकि यह राष्ट्रीय चेतना जागृत करने और महापुरुषों के आदर्श जीवन को प्रस्तुत करने का समय था। महापुरुषों, ऐतिहासिक व्यक्तित्वों, राष्ट्रीय नेताओं, विदेशी महानुभावों और महिलाओं के जीवन चरित्रों पर केंद्रित अनेक जीवनियाँ लिखी गईं।


महत्वपूर्ण जीवनी लेखक और उनकी कृतियाँ

महावीर प्रसाद द्विवेदी

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने जीवनी लेखन को एक नई दिशा दी। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:

  1. ‘प्राचीन पंडित और कवि’ (1918)
  2. ‘संकवि संकीर्तन’ (1924)
  3. ‘चरित चर्चा’ (1929)

आर्य समाज से संबंधित जीवनियाँ

  1. रामविलास सारदा: ‘आर्य धर्मेन्दु जीवन महर्षि’
  2. चिम्मनलाल वैश्य: ‘दयानन्द चरितामृत’ (1904)
  3. अखिलानन्द शर्मा: ‘दयानन्द दिग्विजय’ (1910)

राष्ट्रीय महापुरुषों पर आधारित जीवनियाँ

  1. महादेव भट्ट: ‘लाजपत महिमा’ (1907)
  2. पारसनाथ त्रिपाठी: ‘तपोनिष्ठ महात्मा अरविंद घोष’ (1909)
  3. मुकुन्दीलाल वर्मा: ‘कर्मवीर गाँधी’ (1913)
  4. सम्पूर्णानन्द: ‘धर्मवीर गाँधी’ (1914)
  5. बद्रीप्रसाद गुप्त: ‘दादाभाई नौरोजी’ (1914)
  6. बृजबिहारी शुक्ल: ‘मदनमोहन मालवीय’ (1916)
  7. मातासेवक: ‘लोकमान्य तिलक का चरित्र’ (1918)

ऐतिहासिक जीवनियाँ

  1. कार्तिक प्रसाद खत्री: ‘छत्रपति शिवाजी का जीवनचरित्र’
  2. बलदेवप्रसाद मिश्र: ‘पृथ्वीराज चौहान’
  3. देवीप्रसाद: ‘महाराणा प्रतापसिंह’

विदेशी महापुरुषों पर आधारित जीवनियाँ

  1. सिद्धेश्वर शर्मा: ‘गैरीबाल्डी’ (1901)
  2. उमापति दत्त शर्मा: ‘नेपोलियन बोनापार्ट की जीवनी’ (1905)
  3. नाथूराम प्रेमी ब्रह्मानन्द: ‘जान स्टुअर्ट मिल’ (1912)

महिलाओं पर आधारित जीवनियाँ

  1. भवानी परमानन्द: ‘पतिव्रता स्त्रियों के जीवन चरित्र’ (1904)
  2. हनुमन्त सिंह: ‘रमणीय रत्नमाला’ (1907)
  3. पन्नालाल: ‘वीरपत्नी संयोगिता’ (1912)
  4. यशोदा देवी: ‘आदर्श महिलाएँ’ (1912)
  5. द्वारकाप्रसाद चतुर्वेदी: ‘ऐतिहासिक स्त्रियाँ’ (1912)

जीवनी साहित्य की विशेषताएँ

  1. राष्ट्रीय चेतना का संचार
    • महापुरुषों और नेताओं के जीवन को आदर्श रूप में प्रस्तुत किया गया।
    • यह साहित्य स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रेरणा का स्रोत बना।
  2. विविध विषय-वस्तु
    • आर्य समाज, राष्ट्रीय नेता, ऐतिहासिक व्यक्तित्व, विदेशी महानुभाव और महिलाओं पर केंद्रित।
  3. शैली और भाषा
    • सरल, प्रेरणादायक और पाठकों को जोड़ने वाली भाषा।
  4. शोधपरक दृष्टिकोण
    • ऐतिहासिक और सामाजिक संदर्भों पर आधारित।

महत्त्व

द्विवेदी युग में लिखी गई जीवनियाँ हिंदी साहित्य को न केवल समृद्ध करती हैं, बल्कि यह समाज में नैतिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रचार-प्रसार करने में भी सहायक बनीं। इन कृतियों ने साहित्यिक दृष्टिकोण के साथ-साथ ऐतिहासिक और सामाजिक जागरूकता को भी बढ़ावा दिया।