जन्तुओं का वर्गीकरण समय-समय पर उनके शारीरिक और जैविक लक्षणों के आधार पर किया गया है। प्रारंभ में, जन्तुओं को कशेरुक दण्ड (Vertebral column) की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर दो उप-जगतों (Sub-kingdoms) में बांटा गया था: अकशेरुकी (Non-chordata) और कशेरुकी (Chordata)।
1. अकशेरुकी (Non-Chordata):
इस समूह में उन जन्तुओं को रखा गया जिनमें जीवन के किसी भी अवस्था में नोटोकॉर्ड (Notochord) या कशेरुकी दण्ड (Vertebral column) नहीं पाया जाता। अर्थात, ये जन्तु बिना हड्डी वाले होते हैं।
अकशेरुकी समूह में सम्मिलित 10 प्रमुख संघ (Phylum) हैं:
- प्रोटोजोआ (Protozoa) – एककोशिकीय जन्तु।
- पोरीफेरा (Porifera) – स्पंज जन्तु।
- निडेरिया (Nidaria) – जैसे हाइड्रा, जेलिफ़िश, समुद्री ऐनीमोन।
- प्लैटीहेल्मिन्थीज (Platyhelminthes) – चपटी कीड़े जैसे टेपवर्म।
- निमैहेल्मिन्थीज (Nemathelminthes) – गोल कीड़े जैसे एस्केरिस।
- एनीलिडा (Annelida) – जैसे पृथ्वी का कीड़ा, जलपरी।
- आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) – सबसे बड़ी प्रजाति, जैसे कीट, मकड़ी, क्रैब।
- मोलस्का (Mollusca) – शंख, सीप, घोंघा।
- इकाइनोडर्मेटा (Echinodermata) – जैसे समुद्री ककड़ी, स्टारफिश।
- हेमोकॉर्डेटा (Hemichordata) – समुद्री केंचुआ, जैसे ब्रेसियेट्रिका।
2. कशेरुकी (Chordata):
इस समूह में उन जन्तुओं को रखा गया है जिनके जीवन के किसी भी अवस्था में कशेरुक दण्ड (Vertebral column) पाया जाता है, अर्थात् सभी हड्डी वाले जन्तु इस समूह में आते हैं। इसमें नोटोकॉर्ड का अस्तित्व प्रारंभिक अवस्था में होता है और इसे विकसित रूप में कशेरुकी दण्ड में बदल दिया जाता है।
कशेरुकी (Chordata) समूह को तीन प्रमुख संघों में वर्गीकृत किया गया है:
- यूरोकॉर्डेटा (Urochordata) – ये समुद्री जन्तु होते हैं जैसे अTunicates (Sea squirts), जो कशेरुक दण्ड केवल वयस्क अवस्था में रखते हैं।
- सिफैलोकॉर्डेटा (Cephalochordata) – इनका कशेरुकी दण्ड पूरे जीवनकाल में मौजूद रहता है, जैसे लांसीलेट (Lancelet)।
- वर्टीब्रेटा (Vertebrata) – यह सबसे उन्नत और विविधतापूर्ण संघ है, जिसमें सभी कशेरुकी जन्तु आते हैं, जैसे मछलियाँ, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी।
आधुनिक वर्गीकरण (Modern Classification):
आजकल के वर्गीकरण में जन्तुओं को उनके प्राकृतिक लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। आधुनिक वर्गीकरण में निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं का ध्यान रखा जाता है:
- बाह्य और आन्तरिक संरचना – जन्तु के शरीर की बाहरी और आंतरिक संरचना, जैसे अंगों का विकास, शरीर का संगठन।
- भ्रूणीय विकास – भ्रूण के विकास में होने वाली विभिन्न प्रक्रियाएँ और लक्षण।
- जीवाश्म (Fossils) – जीवाश्मों के अध्ययन से उत्पत्ति और विकास के क्रम का पता चलता है।
- विकास का क्रम (Evolutionary Lineage) – जैविक विकास की प्रक्रिया और उस क्रम में हुए परिवर्तनों का अध्ययन।
स्टोरर और यूसिंजर (Storer and Usinger, 1983) का वर्गीकरण आधुनिक वर्गीकरण में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो प्राकृतिक लक्षणों के आधार पर अधिक प्रचलित है।
निष्कर्ष:
जन्तुओं का वर्गीकरण हमें जैविक विविधता और जीवन के विभिन्न रूपों को समझने में मदद करता है। प्रारंभिक वर्गीकरण के द्वारा जानवरों को अकशेरुकी और कशेरुकी समूहों में बांटा गया था, जबकि आधुनिक वर्गीकरण में इनके प्राकृतिक लक्षणों, विकास और संरचना का अध्ययन अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।