कृष्णदास

कृष्णदास: संक्षिप्त परिचय एवं योगदान

  1. जन्म व स्थान
    • जन्म: 1496 ई.
    • स्थान: चिलोतरा गाँव, राजनगर (अहमदाबाद, गुजरात)
  2. संबंध एवं गुरुकृपा
    • जाति से शूद्र होते हुए भी वल्लभाचार्य के कृपा-पात्र बने।
    • गोस्वामी विट्ठलनाथ जी उनकी बुद्धि और प्रतिभा के प्रशंसक थे।
  3. मंदिर में भूमिका
    • श्रीनाथ जी के मंदिर में अधिकारी पद पर आसीन हुए।
    • प्रबन्धन कौशल के कारण मंदिर प्रबंधन का दायित्व मिला।
  4. कला और साहित्य में योगदान
    • काव्य एवं संगीत के मर्मज्ञ, सुकवि और गायक थे।
    • बाल-लीला, राधाकृष्ण प्रेम-प्रसंग और रूप सौन्दर्य का मनोहारी वर्णन किया।
    • मातृभाषा गुजराती होते हुए भी ब्रजभाषा पर पूर्णाधिकार प्राप्त किया।
    • शृंगारपूर्ण पदों में ब्रजभाषा की प्रांजलता का सुंदर प्रयोग।
  5. मृत्यु
    • 1578 ई. में कुएँ में गिरकर मृत्यु हुई।
  6. प्रसिद्ध पद
    • “मो मन गिरिधर छवि पै अट्क्यो।
      ललित त्रिभंग चाल पै चलि कै, चिबुक चारि गढ़ि ठटक्यों।”