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कृष्णदास: संक्षिप्त परिचय एवं योगदान
- जन्म व स्थान
- जन्म: 1496 ई.
- स्थान: चिलोतरा गाँव, राजनगर (अहमदाबाद, गुजरात)
- संबंध एवं गुरुकृपा
- जाति से शूद्र होते हुए भी वल्लभाचार्य के कृपा-पात्र बने।
- गोस्वामी विट्ठलनाथ जी उनकी बुद्धि और प्रतिभा के प्रशंसक थे।
- मंदिर में भूमिका
- श्रीनाथ जी के मंदिर में अधिकारी पद पर आसीन हुए।
- प्रबन्धन कौशल के कारण मंदिर प्रबंधन का दायित्व मिला।
- कला और साहित्य में योगदान
- काव्य एवं संगीत के मर्मज्ञ, सुकवि और गायक थे।
- बाल-लीला, राधाकृष्ण प्रेम-प्रसंग और रूप सौन्दर्य का मनोहारी वर्णन किया।
- मातृभाषा गुजराती होते हुए भी ब्रजभाषा पर पूर्णाधिकार प्राप्त किया।
- शृंगारपूर्ण पदों में ब्रजभाषा की प्रांजलता का सुंदर प्रयोग।
- मृत्यु
- 1578 ई. में कुएँ में गिरकर मृत्यु हुई।
- प्रसिद्ध पद
- “मो मन गिरिधर छवि पै अट्क्यो।
ललित त्रिभंग चाल पै चलि कै, चिबुक चारि गढ़ि ठटक्यों।”
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